दलितों के बाल काटने के लिए लगा प्रतिबन्ध, तो इन दो दलित भाइयों ने उठाया बीड़ा

कर्नाटक के मैसूरु के कपासोगे गांव में एक दलित परिवार से जुड़े दो भाई एक अलग तरीके से सामाजिक सद्भाव का प्रसार कर रहे हैं। वे कुपसुंडी और आसपास के गांवों जैसे कुरुहंडी, गौदराहुंडी और मदनहल्ली में दलित समुदाय की गरिमा बनाए रख रहे हैं। सैलून में दलितों के बाल कटाने पर रोक लगने के बाद, केपी महादेव और केपी सिद्दाराजू दलितों के घर-घर जा कर उन्हके बाल काटने की सुविधा दे रहे हैं। दरअसल, सैलून मालिकों को चिंता है कि दलितों के बाल काटने का मतलब है कि ऊंची जाति के ग्राहक आना बंद कर देंगे। इसलिए उन्होंने दलितों के बाल काटना बंद कर दिया है।

महादेवा और सिद्दाराजू आठ साल से ऐसा कर रहे हैं और अगर उन्हें वित्तीय सहायता मिलती है तो वे एक सैलून खोलने की योजना भी बना रहे हैं। महादेवा कहते है कि, “हमारे पास सूखी जमीन के 30 गुंटे हैं। जब हमारे पास बाल काटने मांग नहीं आती है, तो हम कृषि मजदूरों के रूप में काम करते हैं या बिजली का काम करते हैं।” महादेवा और सिद्दाराजू बाल काटने का 40 रूपए और शेव करने के लिए 20 रूपए लेते हैं।

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