डीएनडी खुलासा : टोल के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के पीछे है अरबों की काली कमाई

डीएनडीनई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएनडी (दिल्‍ली-नोएडा-दिल्‍ली) को टोल फ्री करने का आदेश क्या दिया, इससे जुड़ी कंपनियों के होश फाख्‍ता हो गए। बुधवार को केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड मनमाने तरीके से टोल की वसूली कर रही है। अब कंपनी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जा रही है। लेकिन इस सारी कवायद के पीछे दरअसल एक बड़ा घोटाला है। एक चैनल ने बड़ा खुलासा करते हुए इस मामले में सरकारी गठजोड़ होने की बात कही है और सबूत सौंपने का भी दावा किया है।

क्‍या है पूरा मामला

दरअसल DND भ्रष्टाचार का सरकारी गठजोड़ सामने आ रहा है। इसमें नोएडा अथॉरिटी सबसे बड़ा दोषी है। टोल वसूलने का काम सरकार को अलग-अलग कंपनियों को देना था, लेकिन वसूली की जिम्‍मेदारी सिर्फ एक ही कंपनी को दे दी गयी।

कन्शेसन अवधि बढ़ाने के लिए कंपनी टोल टैक्स कम दिखाती थी, ताकि वर्ष 2070 तक DND पर अरबों की वसूली जारी रख सके।

DND लागत 409 करोड़ तय थी, लेकिन बेइमानों ने इसको 3200 करोड़ कर दिया और साइन वही IAS अफसर कर रहे थे जो अब टोल कंपनी में बड़े पदों पर है। UP और Delhi के IAS कंपनी के पर्दे के पीछे थे और यूपी सरकार बनने के बाद इस प्रोजेक्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मनमाने तरीके से मंजूरी दी गई। फिर खुद सभी कंपनी में घुस गए।

चैनल के मुताबिक, IAS हरीश माथुर तब नोएडा अथॉरिटी में थे अब DND के CEO हैं। वहीं दिल्ली PWD सचिव सनत कौल थे और अब DND में डायरेक्टर हैं।

कंपनी के मालिक का असली चेहरा उसके रिटायर होने के बाद खुला। अब पूर्व आईएएस पीयूष मनकड़ डॉयरेक्टर हैं। उन्होंने सरकार में रहने के दौरान प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। रिटायर हुए तो कम्पनी के मालिक बन गए।

DND की नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (NTBCL) को 99 एकड़ ज़मीन दी गयी, जिसकी वर्तमान कीमत 2 हजार करोड़ है। इसमें 65 एकड़ दिल्ली की तरफ हैं। ऑफिस और दूसरे उद्देश्य से 100 एकड़ जमीन कब्जाई गई। यह सारा मामला यूपी और दिल्ली की सरकार का साझा उपक्रम है। उस समय के मुख्य सचिव राज भार्गव अब डीएनडी के चेयरमैन हैं।

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