जिस नाक को छिपाते थे शाहरुख , उसी को पसंद किया था हेमा मालिनी ने…
इस लॉकडाउन में लोग अपनी पुरानी यादों को ताजा कर रहे हैं. चाहे वो घर बैठे आम आदमी हों या कोई बड़ी हस्ती. हर कोई अपनी पुरानी बीती यादों को निकालकर उन्हें शेयर कर रहा है और उससे जुड़े किस्से बता रहे हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान से जुड़ा पुराना किस्सा, जब वो हिंदी सिनेमा में स्ट्रगल कर रहे थे. यह किस्सा उनकी नाक से जुड़ा हुआ है….
शाहरुख जब 15 साल के थे तब कैंसर से उनके पिता का निधन हो गया था। उनके पिता न सिर्फ एक वकील बल्कि एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। वो जब 14-15 साल के थे तो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल गए और बाद में वो मौलाना अबुल कलाम आजाद के खिलाफ चुनाव भी लड़े लेकिन हार गए। वहीं उन्होंने कई बिजनेस में हाथ आजमाए लेकिन असफल रहे।
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शाहरुख खान का नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ नजदीकी रिश्ता रहा है। शाहरुख के पिता 1974 तक एनएसडी में मेस चलाते थे और तब शाहरुख अपने पिता के साथ वहां जाया करते थे। वहां शाहरुख को रोहिणी हटंगड़ी, सुरेखा सिकरी, रघुवीर यादव, राज बब्बर जैसे कलाकार अभिनय करते दिखते थे। वो इब्राहिम अलकाजी के साथ रहते और ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ जैसे नाटकों का रिहर्सल देखते। इस प्रकार अभिनय और सिनेमा से उनका जुड़ाव शुरू हुआ था।
1991 में शाहरुख खान पहली बार फिल्म हेमा मालिनी की ‘दिल आशना है’ में नजर आए थे जबकि मुख्य अभिनेता के रूप में उनकी पहली फिल्म 25 जून 1992 को ‘दीवाना’ रिलीज हुई थी। कुछ साल पहले जब शाहरुख खान को सिनेमा में 25 साल पूरे हुए थे तो समर खान की लिखी किताब ‘SRK-25 इयर्स ऑफ लाइफ’ की लॉन्च हुई थी।
किताब लॉन्च के दौरान शाहरुख ने एक किस्से का जिक्र करते हुए बताया था कि, ‘जब मैं हेमा जी के साथ फिल्म ‘दिल आशना है’ कर रहा था, तब उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम्हें यह फिल्म तुम्हारी नाक की वजह से मिल रही है। क्योंकि यह बाकी सबसे अलग है। हेमा जी की इस बात से मुझे काफी हैरानी हुई थी, क्योंकि मैं अपनी जिस नाक को सबसे छुपाता घूमता था वही हेमा जी को पसंद आ गई।’
शाहरुख ने आगे बताया था, ‘ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनको ड्रीम गर्ल से कॉम्पलीमेंट सुनने को मिलते हैं। मैं उनमें से एक हूं।’ इसके बाद शाहरुख ने अपने करियर को जीत का जूनून बताते हुए कहा था, ’25 साल पहले जब मैं बॉलीवुड में आया था तो मैं भी एक आम लड़के की तरह ही था, जिसकी आंखो में सपने थे और दिल में जुनून.! इसी जूनून ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचा दिया। जीवन के उतार-चढ़ाव से मैंने इतना कुछ सीख लिया है कि सफलता और असफलता को आराम से मैनेज कर सकता हूं।’