
ऐसा कई बार आपके साथ भी हुआ होगा कि भीड़ या भरी महफिल में कोई आपकी ओर चुपके से देख रहा है और बिना उस शख्स की ओर देखे ही आपको इस बात की भनक लग जाती है कि किसी की नजर आप पर है या कोई आपको घूर रहा है।
इस बात को क्रॉस चेक करने के लिए आप डायरेक्ट उस व्यक्ति की ओर देखते हैं तो वह वाकई में आपकी ओर देख रहा होता है और नजरें जैसे ही मिलती है तो वह अपनी आंखें झूका लेता है।
अब सवाल यह आता है कि आपने तो उसे पहले देखा नहीं तो फिर इतने लोगों के बीच कैसे महसूस हुआ कि कोई आपको घूर रहा है?
सबसे पहले बता दें कि ऐसा केवल महिलाओं के साथ ही नहीं बल्कि पुरुषों के साथ भी होता है। अंग्रेजी में इसे सिक्स्थ सेंस या एक्स्ट्रासेंसरी परसेप्शन (ईएसपी) के नाम से जाना जाता है और हिंदी में इसे छठी इंद्री बोलते हैं।
हालांकि केवल सिक्स्थ सेंस ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं होता है बल्कि हमारा दिमाग भी इस काम में अहम योगदान देता है।
एक रिसर्च में इस बात का पता चला कि हमारे दिमाग में एक बड़ा न्यूरल नेटवर्क होता है जो केवल हम पर पड़ने वाली नजरों की प्रोसेसिंग करता है। दिमाग के इस हिस्से की वजह से हम किसी की नजर या हाव-भाव को देखकर उसके बारे में कुछ हद तक अंदाजा लगा पाते हैं।
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वैज्ञानिकों ने इंसानी दिमाग के साथ-साथ कई प्राइमेट जानवरों (वानर प्रजाति के प्राणी) के मस्तिष्क का परीक्षण किया और पाया कि ब्रेन में न्यूरॉन्स का एक समूह उस वक्त एक्टिव या सक्रिय हो जाता है जब कोई हमारी ओर देख रहा होता है।
यह प्रक्रिया हमारे दिमाग में चलती रहती है।
जहां तक रही आंखों की बात तो ये भी इस काम को बखूबी करती हैं। हमारी आंखों की बनावट ही कुछ ऐसी होती है कि हम एक ही समय पर एक बड़े एरिया को देख सकते हैं। इसे पेरिफेरल विजन कहते हैं।
अब इस पेरिफेरल विजन में जितने भी दृश्य आते हैं उनमें अगर जरा सा बदलाव होता है तो आंखें झट से उसे भांप लेती है।