जानें सबरीमाला मंदिर से जुड़े वह रोचक तथ्य जो शायद ही आपने कभी सुने हों, दुनियाभर से आते हैं श्रद्धालु

दक्षिण भारतीय राज्य का तीर्थ कहा जाने वाले सबरीमाला मंदिर लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस मंदिर को सबसे व्यस्त मंदिरों की गिनती में शुमार किया गया है। इस मंदिर में दर्शण करने ना सिर्फ भारत के लोग यहां पर आते हैं बल्कि यहां पर विदेशों के भी लोगों की भीड़ लगी रहती है। यह एक प्रसिद्ध मंदिर जो भगवान अयप्पा को समर्पित है। अयप्पा मंदिर 18 पहाड़ियों और घने जंगलों के मध्य स्थित है। इस मंदिर से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं जिसके बारे में आज हम पको बताने जा रहे हैं।

महिलाओं का प्रवेश

केरल के इस मंदिर में पहले 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं को इस मंदिर में जाने की अनुमति नहीं थी लेकिन कोर्ट ने 23 सितंबर को इस रोक-टोक को भी पूरी तरह से प्रतिबंध कर दिया है। कोर्ट के फैसले के अनुसार अब हर उम्र की महिला इस मंदिर के दर्शण कर सकती हैं। धर्म और राजनीति से जुड़े ऐसे बहुत से समुह हैं, जो इस फैसले पर अपना आक्रोश जता चुके हैं।

सबरीमाला अरावन पायसम

मंदिर में भगवान को भोग लगाने और प्रसाद के लिए खास सबरीमाला अरावन पायसम बनाया जाता है। पायसम का निर्माण परंरागत तरीके से किया जाता है। प्रसाद का भोग सबसे पहले भगवान अयप्पा को लगाया जाता है। भोग लगाने के बाद फिर श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद बनाया जाता है। भारी मात्रा में प्रसाद का निर्माण कर आने वाले सभी श्रद्धालुओं में बांटा जाता है।

वावर से जुड़ा तथ्य

वावर एक सुफी संत थे। 12 वीं शताब्दी में एक राजकुमार हुआ करते थे जिनका नाम था मनीकंदन। जिन्होंने इस मंदिर तक रास्ता खुद तय किया था। यह संत 12 वीं शताब्दी में हुआ करते थे। राजकुमार मनीकंदन कई अनुयायियों के साथ मंदिर तक गए थे। जिनमें वावर परिवार के पूर्वज भी शामिल थे।

पौराणिक किवदंती

सबरीमाला मंदिर से कई पौराणिक किवदंती भी जुड़ी है। महिषासुर की बहन का नाम महिषी थी, और माना जाता है कि महिषासुर की मृत्यु के बाद भगवान ब्रह्मा से महिषी को ताकत और लंबी उम्र का वरदान मिला था। बाद में असुर की बहन का वध भगवान अयप्पा द्वारा किया गया। महिषी के वध के बाद भगवान अयप्पा ने पहाड़ों पर जाकर ध्यान किया था, क्योंकि महिषी उनसे विवाह करना चाहती थी।

मकर ज्योति

केरल के सबरीमाला मंदिर के संदर्भ में मकर ज्योति वो खास तारा है, जिसकी पूजा सबरीमाला अयप्पा मंदिर से जुड़े श्रद्धालु करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि भगवान अयप्पन स्वयं इस तारे के रूप में भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। मकर ज्योति दिखने वाला यह वो खास दिन होता है जब गर्भगृह के पाट खुलने के निर्धारित समय से अलग मंदिर के द्वार खोले जाते हैं। ऐसे मंदिर का मुख्य भाग सिर्फ 15 नवंबर से लेकर 26 दिसंबर और अप्रैल 14 को ही खुलता है। मलयालम कैलेंडर के शुरुआती पांच दिन भी मंदिर के पाट भक्तो के लिए खोले जाते हैं।

LIVE TV