जानिए BSNL के कर्मचारियों पर आया सैलरी संकट, पीएम मोदी को लिखा गया पत्र…

सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल (BSNL) के कर्मचारियों पर सैलरी संकट मंडरा रहा है। बीएसएनएल के कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कंपनी को उबारने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है।
बीएसएनएल
बता दें कि कंपनी के पास कर्मचारियों को जून माह के लिए सैलरी देने के लिए भी पैसे नहीं है। बीएसएनएल के इंजीनियरों ने कहा है कि कंपनी को फिर से खड़ा किया जाना चाहिए। इसके लिए उन कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं।
वहीं इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि फिलहाल बीएसएनएल पर कोई कर्ज नहीं है और इसकी बाजार हिस्सेदारी में लगातार इजाफा हो रहा है। ऑल इंडिया ग्रैजुएट इंजीनियर्स एंड टेलीकॉम ऑफिसर्स असोसिएशन (AIGETOA) ने पत्र लिखकर पीएम मोदी से कंपनी के नकदी संकट को दूर करने के लिये बजट समर्थन दिए जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि नकदी संकट की वजह से कंपनी का परिचालन प्रभावित हो रहा है।

जहां हमारा मानना है कि मौजूदा नकदी संकट को दूर करने के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाले न्यूनतम समर्थन से भी बीएसएनएल को एक बार फिर से मुनाफा कमाने वाली कंपनियों में शामिल किया जा सकता है।
दरअसल 1.7 लाख कर्मचारियों वाली कंपनी को फरवरी में भी वेतन देने में परेशानी आई थी। सरकार ने पिछले महीने कंपनी को बैंकों से कर्ज दिलाने के लिए गारंटी पत्र जारी किया था। वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी को इससे काफी सहूलियत मिलेगी। इसी महीने कंपनी ने कहा था कि 2019-20 की सितंबर तिमाही तक स्थिति सामान्य हो जाएगी।
एसोसिएशन की मांग है कि बीएसएनएल में कर्मचारियों के लिए प्रदर्शन आधारित व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। इससे अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जा सकेगा जबकि खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों से जवाब मांगा जा सकेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की दोनों दूरसंचार कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल (MTNL) 2010 से घाटे में चल रही हैं। एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में तथा बीएसएनएल शेष 20 दूरसंचार सर्किलों में परिचालन करती है।
बीएसएनएल का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2017 में कंपनी को 4,786 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। वहीं 2018 में यह बढ़कर आठ हजार करोड़ रुपये हो गया। 2019 में इसके और ज्यादा होने की उम्मीद है।
फिलहाल कंपनी के पास फंड की भारी कमी है और वो इससे अपनी कई जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है। वहीं वीआरएस स्कीम के लिए भी उसे करीब 6500 करोड़ रुपये की जरूरत है। कंपनी को सरकार से भी फिलहाल 3300 करोड़ रुपये का फंड मिलना बाकी है।

 

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