जानिए दिहाड़ी मजदूर के एथलीट बनने की कहानी

नई दिल्ली : ‘ लहरों से डरकर नौका पार नही होती कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती ‘ ये कहावत आपने बहुत सुनी होगी। ये कहावत अपने आप में एक ऐसी मिसाल है जिससे युवक पेरित हो रहे हैं। वहीं गुजरात के डांग जिले में सड़क निर्माण में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले आदिवासी एथलीट इवित मुरली कुमार ने पुरुषों के 10000 मीटर दौड़ को अपने नाम करने के साथ एशियाई चैंपियनशिप के लिए भी क्वालीफाई किया है।

जहां कुमार ने इस टूर्नामेंट के पहले दिन पुरुषों के 5000 मीटर दौड़ को भी अपने नाम किया था , और उन्होंने रविवार को 29 मिनट 21.99 सेकंड के समय के साथ दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया है। जहां उनका यह समय एशियाई चैंपियनशिप के क्वालिफिकेशन मार्क 29 मिनट 50 सेकेंड से काफी बेहतर रहा है।

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बता दें कि डांग में सपुतारा हिल स्टेशन के पास गांव में रहने वाले 22 साल के इस एथलीट ने कहा है कि रविवार और स्कूल की वार्षिक परीक्षा और नए सत्र के बीच के दो महीनों के समय में मैं अपने घर के पास सड़क निर्माण में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करता था और प्रति दिन 150 रुपये कमाता था। देखा जाए तो यह 2013 और 2014 की बात है। मैंने इस रकम का इस्तेमाल दौड़ने वाले जूते खरीदने में किया।

भाला फेंक खिलाड़ी अन्नू रानी रविवार को यहां फेडरेशन कप राष्ट्रीय सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप के तीसरे दिन अपने राष्ट्रीय रिकार्ड में सुधार करने के साथ एशियाई और विश्व चैंपियनशिप का टिकट हासिल करने में सफल रही है।

उत्तर प्रदेश की 26 साल की अन्नू ने 62.34 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर स्वर्ण पदक हासिल किया है। यह उनके पहले के राष्ट्रीय रिकॉर्ड (2017 में) 61.86 मीटर से लगभग आधा मीटर अधिक है।

दरअसल इस साल सितंबर-अक्टूबर में दोहा में होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाइंग मार्क 61.50 मीटर था जबकि अगले महीने दोहा में होने वाले एशियन चैंपियनशिप के लिए भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने 58 मीटर का क्वालीफाइंग मार्क निर्धारित किया था। यहां के राष्ट्रीय खेल मैदान में हरियाणा की कुमारी शर्मिला ने 54.98 मीटर की थ्रो के साथ रजत जबकि पंजाब की रूपिंदर कौर 53.90 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक हासिल किया है।

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