जानिए क्रिकेट मैच की गुलाबी गेंद के बारे में , मैली हुई तो होगी दिक्कत…
देश में गुलाबी गेंद के लिए पिच तैयार करने का अनुभव दलजीत सिंह, क्यूरेटर तापोस और यूपीसीए के शिवकुमार को है। इन तीनों ही ने मिलकर ग्रेटर नोएडा के शहीद पथिक सिंह स्टेडियम में दलीप ट्राफी के गुलाबी गेंद से हुए मुकाबलों की पिचें तैयार की थीं।दलजीत के मुताबिक उस वक्त यह बड़ी चुनौती थी, क्यों कि उससे पहले एडीलेड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच गुलाबी गेंद से डे नाइट टेस्ट हुआ था। उन्होंने इस टेस्ट मैच का फीड बैक मंगवाया था। उसके बाद दलीप ट्रॉफी की पिचों के लिए काम शुरू किया। सबसे बड़ी समस्या गुलाबी गेंद के जल्दी गंदा होने की सामने आई थी। कोलकाता में भी इस दिक्कत से बचना होगा।
दरअसल वन-डे क्रिकेट में गेंद को गंदा होने से बचाने के लिए आईसीसी 25-25 ओवर के लिए दो सफेद गेंदों का प्रयोग करता है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में 80 ओवर बाद गेंद बदली जाती है। पिच पर अगर घास कम है तो इसका मिट्टी से सीधा संपर्क होगा और गेंद जल्दी गंदी होगी। जिससे शाम और रात के समय में यह गेंद न तो बल्लेबाज को दिखाई देगी और न ही बाउंड्री पर खड़े क्षेत्ररक्षकों को नजर आएगी।