जानिए आखिर क्यों भगवान श्रीकृष्ण ने अपने ही पुत्र को दिया था कोढ़ी होने का श्राप , बड़ी रोचक हैं इनकी कहानी…

आज पूरे भारत वर्ष में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूम – धाम से मनाया जा रहा हैं। बतादें कि देशभर के मंदिरों को बड़े ही सुन्दर तरीके से सजाया गया हैं। देखा जाये तो जन्माष्टमी के दिन लोग वर्त रखते हैं रात मने पूजा – पाठ करते हैं। श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मानते हैं।

 

 

खबरों के मुताबिक भगवान कृष्ण से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। ऐसा ही एक रहस्य है उनके पुत्र से जुड़ा, जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने गुस्से में अपने ही पुत्र सांबा को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया था। इसके पीछे की कहानी बड़ी ही रोचक है।

वहीं भगवान श्रीकृष्ण के श्राप से मुक्ति पाने के लिए सांबा ने सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था, जो अब पाकिस्तान के मुल्तान शहर में स्थित है। इस सूर्य मंदिर को आदित्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

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वैसे तो श्रीकृष्ण की कई रानियां थीं, जिनमें से एक जामवंत की पुत्री जामवंती भी थी। श्रीकृष्ण और जामवंती के विवाह के पीछे भी एक कहानी है। पुराणों के अनुसार, बहुमूल्य मणि हासिल करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण और जामवंत में 28 दिनों तक युद्ध चला था। युद्ध के दौरान जब जामवंत ने कृष्ण के असली रूप को पहचान लिया, तो उन्होंने मणि समेत अपनी पुत्री जामवंती का हाथ भी उन्हें सौंप दिया।

कृष्ण और जामवंती के पुत्र का नाम ही सांबा था। कहते हैं कि सांबा इतना सुंदर और आकर्षक था कि कृष्ण की कई पटरानियां भी उसकी सुंदरता के प्रभाव में आ गई थीं। कहते हैं कि सांबा के रूप से प्रभावित होकर एक दिन श्रीकृष्ण की एक रानी ने सांबा की पत्नी का रूप धारण कर उसे आलिंगन में भर लिया, लेकिन ऐसा करते हुए श्रीकृष्ण ने उन दोनों को देख लिया। इसी बात से गुस्सा होकर श्रीकृष्ण ने सांबा को कोढ़ी हो जाने का श्राप दे दिया।

पुराणों के अनुसार, महर्षि कटक ने सांबा को कोढ़ से मुक्ति का उपाय बताते हुए सूर्य देव की उपासना करने को कहा। उसके बाद सांबा ने चंद्रभागा नदी के किनारे मित्रवन में सूर्य देव का एक मंदिर बनवाया और 12 सालों तक सूर्य देव की कड़ी तपस्या की।

दरअसल सूर्य देव ने सांबा की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे कोढ़ से मुक्ति पाने के लिए चंद्रभागा नदी में स्नान करने को कहा। आज भी चंद्रभागा नदी को कोढ़ ठीक करने वाली नदी के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने वाले व्यक्ति का कोढ़ जल्दी ठीक हो जाता है।

 

 

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