जानिए आखिर क्यों आलू किसानों को धमका रही हैं पेप्सिको…

नई दिल्ली : गुजरात में बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिको ने कुछ आलू किसानों पर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के मुआवजे का मुकदमा ठोक दिया है वहीं कंपनी का आरोप है कि किसानों ने उसके कॉपीराइट वाली खास किस्म के आलू का उत्पादन किया है। वहीं यह घटना साबित करती है कि उदारीकरण के दौर में देश के खेती-किसानी को किस तरह की चुनौती मिलने वाली है।

आलू

बता दें की सोशल मीडिया और राजनीतिक दबाव के बाद पेप्सिको किसानों से समझौते को राजी तो हो गई है, लेकिन उसका कहना है कि अगर किसान उगाई गई फसल उसे ही बेचें तो वह कोर्ट के बाहर सेटलमेंट करने को तैयार है।

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एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में बीज का पेटेंट हो ही नहीं सकता और यह जानते हुए भी पेप्सिको अगर किसानों पर करोड़ों का मुकदमा कर रही है तो यह महज उन्हें धमकाने और दबाव में लेने की कोशिश है।

गौरतलब है कि बहुराष्ट्रीय फूड बेवरेज कंपनी पेप्सिको ने अहमदाबाद की कमर्शियल कोर्ट के जज एमसी त्यागी के पास याचिका दायर की थी कि चार किसानों द्वारा एफसी-5 टाइप के स्पेशल आलू की किस्म की अवैध खेती की जा रही है। जहां पेप्सिको का आरोप है कि ये किसान आलू की उस किस्म का उत्पादन कर रहे थे,

जिससे लेज चिप्स बनाए जाते हैं और इस पर कंपनी का कॉपीराइट है। वहीं पेप्सिको ने नुकसान के लिए प्रत्येक किसान से 1.05 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की भी मांग की है। लेकिन पिछले एक साल में पेप्सिको ने कुल 11 किसानों पर इस तरह का मुकदमा किया है।

ये वही आलू की किस्म है जिस पर पेप्सिको अपना पेटेंट होने का दावा कर रही है. इस आलू की खास बात ये है कि ये आलू साइज में बड़े होते हैं और  साथ ही इसमें नमी दूसरे किस्म के आलू के मुकाबले कम होती है। जिस वजह से लेज ब्रांड के पोटैटो चिप्स बनाने में इनका इस्तेमाल किया जाता है।

दरअसल इस मामले में गुजरात सरकार पर भी दबाव बढ़ने लगा था। जहां  कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा था कि सरकार इस मसले पर अपनी ‘आंखें बंद नहीं रख सकती हैं। लेकिन इसके बाद गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने कहा कि सरकार किसानों के साथ है और इस मुकदमे में एक पार्टी बनने का निर्णय लिया गया है। जहां इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून को है।

 

 

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