जानिए आखिर कश्मीर में क्यों सबसे ज्यादा बंद रही हैं इंटरनेट सेवाएं

नई दिल्ली : भारत में जिस तरह से डिजिटल रिवोल्यूशन की बात हो रही है उसको देखते हुए हैं। कश्मीर में होने वाले इंटरनेट शटडाउन की बात करना खासा मायने रखता है।

 

वहीं स्टैनफोर्ड यूनीवर्सिटी में हुए एक स्टडी के अनुसार पिछले साल 2018 में भारत में कुल 134 और 2016-17 में 100 से ज्यादा इंटरनेट शटडाउन हुए है। जहां इन सभी में सबसे ज्यादा कश्मीर क्षेत्र में हुए हैं।

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बता दें की इस इंटरनेट शटडाउन का उद्देश्य अफवाहों व गलत सूचनाओं को फैलने से रोकना और कानून व्यवस्था को बनाए रखना था। लेकिन ये उद्देश्य शायद ही पूरा हो पाया हैं। स्टडी में बताया गया कि विश्व में हुए कुल शटडाउन में से लगभग आधे अकेले भारत में हुए हैं। जहां इनमें भी अधिकतर कश्मीर में हुए हैं।

लेकिन इस इंटरनेट शटडाउन का उद्देश्य अफवाहों व गलत सूचनाओं को फैलने से रोकना और कानून व्यवस्था को बनाए रखना था. लेकिन ये उद्देश्य शायद ही पूरा हो पाया. स्टडी में बताया गया कि विश्व में हुए कुल शटडाउन में से लगभग आधे अकेले भारत में हुए हैं। जहां इनमें भी अधिकतर कश्मीर में हुए हैं।

साल 2016 में कश्मीर में सबसे लंबा शटडाउन रहा जो कि 203 दिनों तक चला. इन विरोध प्रदर्शनों और शटडाउन की वजह से जनजीवन और आजीविका पर खासा फर्क पड़ा. स्टडी के अनुसार भारत में 2012 से 2017 के बीच कुल 16,315 घंटे (680 दिनों) तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं, जिसकी वजह से तीन बिलियन डॉलर यानी दो हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान हो चुका है।

देश में हुए कुल ब्लैकआउट का 75 फीसदी राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, और जम्मू कश्मीर में हुआ है। इसमें भी 47 फीसदी ब्लैकआउट अकेले जम्मू कश्मीर में हुए हैं। भारत उन कुछ गिने चुने देशों में शामिल है जहां पर सरकार संचार के माध्यम पर रोक लगाती है। स्टडी में यह भी पाया गया है कि ब्लैकआउट की संख्या के साथ-साथ भारत में विरोध प्रदर्शनों की संख्या भी बढ़ रही है।

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