कोई नहीं जानता कि कहाँ से आई ‘चाय’, आखिर खुल ही गया गया ये राज…

‘चाय’… जिसके जरिए लोगों के दिन की शुरुआत होती है क्या आप जानते हैं कि इसकी खोज कैसे हुई थी..? बेहद कम लोगों को इस बात के बारे में पता होगा कि उनके घरों में बनने वाली चाय किस तरह दुनिया का पसंद बन गई। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लगभग 4700 साल पहले यानी 2700 ईसा पूर्व चाय की खोज हो चुकी थी लेकिन तब यह सिर्फ शाही पेय हुआ करती थी। इसे सिर्फ राजा ही पीते थे।

कहाँ से आई 'चाय'

असल में चाय की खोज गलती से हुई। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पूर्व चाइना के दूसरे राजा शेन नूंग ने गलती से चाय की खोज की थी। दरअसल, हुआ यूं था कि शेन को गर्म पानी पीने की आदत थी।

एक बार उनका कोई सेवक उनके लिए पानी गर्म कर रहा था जिसमें गलती से चाय की पत्तियां गिर गईं। यह पानी जब राजा ने पिया तो उसे एक अलग सी ताजगी महसूस हुई। उसने सेवक से पूछा कि इस गर्म पानी में क्या मिलाया था तो उसने राजा को सारी बात बता दी। बस तभी से वह चाय का पानी पीने लगा।

चाय न सिर्फ ताजगी बल्कि उसके साथ-साथ आपको एनर्जी भी देती है। यही वजह रही कि चीन ने 4700 साल पहले खोज ली गई चाय के बारे में नौंवी शताब्दी तक दुनिया को पता ही नहीं लगने दिया। बाद में जापान को इसके बारे में पता चल गया और फिर बात यूरोप तक जा पहुंची। ऐसे चाय पूरी दुनिया में मशहूर हो गई।

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भारत में भी चाय किसी जड़ी-बूटी से कम नहीं है। सिर दर्द है तो कड़क चाय, सर्दी खांसी है तो अदरक की चाय, यहां तक कि सुस्ती दूर करनी हो तो भी चाय ही काम आती है। चाय यहां की रोजमर्रा की जिंदगी में रच और बस चुकी है। इसके बिना लोगों के दिन की शुरुआत ही नहीं होती।

चीन के चाय के राज को एक बौद्ध भिक्षु ने सबसे पहले जापान में जाकर उजागर कर दिया। उसके बाद से चाय से चीन का एकाधिकार खत्म हो गया। पूरी दुनिया में चाय की बात फैल पाई।

पहले जापान और फिर यूरोप को में चाय इस्तेमाल में आ गई। चीन के बाद दुनिया में चाय के मामले में भारत का दूसरा नंबर है। यहां चाय के बारे में तब मालूम पड़ा जब एक बार असम में घूमते हुए एक अंग्रेज को पता चला कि वहां के लोग पानी में किसी लोकल पौधे की पत्तियां डाल कर उसका काढ़ा बनाकर पीते हैं।

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जब ईस्ट इंडिया कंपनी के मेजर जनरल अरुणाचल पहुंचे तो एकबार उनकी तबीयत खराब हो गई तो वहां के लोगों ने उनको दवा के तौर पर चाय पेश की। तब यह बात खुलकर सामने आई।

इसके बाद में कोलकाता में बॉटेनिकल गार्डन भेजा में चाय की पत्तियां भेजी गई और जांच के दो दौर के बाद आखिर में उसे ‘असम टी’ के रूप में पहचान मिली। यह घटना 1831 से 1834 के बीच की है।

भारत में 16 राज्य करते हैं चाय का उत्पादन

देश में बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि भारत के 16 राज्य चाय का उत्पादन कर रहे हैं। भारत में मिलने वाली चाय की उन्नत किस्म के सामने आज विश्व बाजार में चीन पीछे छूट गया है। भारत में असम, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और ओडिशा में चाय की पैदावार होती हैं।

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