जल संकट! अगर मोदी की नहीं सुनी तो वाटर ट्रेन का इंतजार करते हुए बीत जाएगी उम्र

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की पहली मन की बात में जिस जल संकट की ओर इशारा किया था, वो दिनो दिन मुंह बाए सिर उठाता ही जा रहा है। देश के कई हिस्सों से पानी तेजी से खत्म हो रहा है। वाटर ट्रेन यानि पानी लाने वाली ट्रेनों की तस्वीरें वायरल होती जा रही हैं।

वाटर ट्रेन की जरूरत तब पड़ गई जब पानी पहुंचाने वाले टैंकर भी फेल हो गए। जब पानी होगा ही नही, तो लायेंगे कहां से। पानी की भीषण त्रासदी से जूझ रहे चेन्नई में दौड़ती हुई वाटर ट्रेन इस भयावह जल संकट की सबसे ताजा तस्वीर है।

ये वाटर ट्रेन वेल्लोर से चलकर चेन्नई तक पानी पहुंचा रही है। तमिलनाडु की एआइडीएमके सरकार ने तत्काल प्रभाव से इसके इंतजाम किए हैं। इससे पहले चेन्नई में पानी के खाली बर्तन लेकर टैंकरों का इस्तेमाल करते हुए लोगों की कई किलोमीटर लंबी लाइनों ने पूरे देश का ध्यान खींचा था।

वेल्लोर से जोनल पेट से 10 एमएलडी पानी लेकर ये वाटर ट्रेन चेन्नई पहुंच रही है। इस पानी की रोजाना की कीमत 65 करोड़ रुपए है। इस बीच चेन्नई में निजी टैंकरों की मनमानी भी बढ़ती जा रही है। उन्होंने आम जनता से बेहद ऊंची दरों पर पानी की कीमत वसूलना शुरू कर दिया है।

चेन्नई तो बस शुरूआत है। आईआईटी गांधीनगर की जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश का 40 फीसदी हिस्सा सूखे की मार से त्रस्त है। नीति आयोग की रिपोर्ट तो और भी हैरान करती है। उसके मुताबिक साल 2020 तक देश के 21 बड़े शहरों में ग्राउंड वाटर जीरो पर पहुंच जाएगा। इसमें दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद और चेन्नई जैसे बड़े शहर हैं। करीब 10 करोड़ की आबादी इसकी सीधी चपेट में होगी।

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इसीलिए समय रहते प्रधानमंत्री की बात पर अमल करते हुए हम सभी को जल आंदोलन की शुरूआत के लिए लगना होगा जिसकी पहली प्राथमिकता पानी बचाना होगा।

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