आइईटी के छात्र ने खुद बनाया पर्चा और कॉपी भी जांच डाली

आइईटीलखनऊ| इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आइईटी) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में शोध छात्र व अतिथि अध्यापक देवेश ओझा ने पीएचडी कोर्स वर्क की परीक्षा में खुद पर्चा बनाया और अपनी कॉपी भी जांच डाली। कंप्यूटर पर अंक चढ़ाते समय इस मामले को परीक्षा विभाग ने पकड़ा तो मामले की जांच करवाई गई। निदेशक प्रो. एएस विद्यार्थी ने बताया कि सीनियर प्रोफेसर डॉ. भारती द्विवेदी की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर शोध छात्र देवेश ओझा का पंजीकरण और परीक्षा निरस्त कर उसे बाहर कर दिया गया है। उसे भविष्य में कभी आइईटी में किसी कोर्स में दाखिला नहीं मिलेगा। इस मामले में सिविल इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही भी सामने आई है। ऐसे में रिपोर्ट के आधार पर निदेशक ने विभागाध्यक्ष प्रो. एनबी सिंह सहित सात शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।

आइईटी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के शोध छात्र देवेश ओझा को टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (टीईक्यूआइपी) के तहत सिविल इंजीनियरिंग विभाग में शोधार्थी और अतिथि अध्यापक के तौर पर रखा गया था। 24 दिसंबर 2016 में पीएचडी कोर्स वर्क की परीक्षा हुई और इसमें विषय ड्यूरेबेलिटी ऑफ कंक्रीट स्ट्रक्चर का पर्चा खुद ही बनाया और उसने कॉपियां भी जांच दी। मामला फरवरी में पकड़ा गया जब परीक्षा विभाग के अधिकारी कम्प्यूटर पर अंक चढ़ा रहे थे।

प्रो. विद्यार्थी ने बताया कि इसकी जांच के लिए 27 मार्च 2017 को सीनियर प्रोफेसर भारती द्विवेदी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 25 अप्रैल 2017 को दी। इसमें प्रश्नपत्र सेट करने और मूल्यांकन तक में विभाग और बोर्ड आफ स्टडीज दोनों कठघरे में हैं। यही नहीं परीक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लग गया है।

आइईटी निदेशक द्वारा सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. एनबी सिंह सहित सात शिक्षकों को नोटिस जारी करने के बाद शुक्रवार को नोटिस पाने वाले शिक्षक निदेशक प्रो. एएस विद्यार्थी से मिलने गए। यहीं से मीडिया को खबर लगी और दबा हुआ मामला सामने आ गया। प्रो. विद्यार्थी ने शिक्षकों से चार बिंदुओं पर जवाब मांगा है। इसमें परीक्षक के रूप में पीएचडी स्कॉलर कम टीचिंग असिस्टेंट को नियुक्त करने और कापियों का मूल्यांकन करवाए जाने का कारण पूछा है। आरोपी देवेश ओझा की कॉपी उसे ही मूल्यांकन के लिए देने, पेपर सेट करवाने और इस तरह का निर्णय लेने पर सवाल खड़े किए हैं। फिलहाल तीन दिन में जवाब मांगा गया है। फिलहाल अब आइईटी में आगे प्रश्नपत्र सेट करने व मूल्यांकन के काम में रिसर्च स्कॉलर नहीं लगाए जाएंगे। बाहरी परीक्षकों से पर्चे बनवाए जाएंगे।

नोटिस दिए जाने से नाराज सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. एनबी सिंह ने कहा कि इस छात्र ने परीक्षा फार्म में अपना विषय बदल लिया ऐसे में यह गड़बड़ी हुई। उन्होंने कहा कि वह 28 मार्च को इसकी जानकारी निदेशक को दे चुके हैं और अपने स्तर पर छात्र का पंजीकरण भी निरस्त कर चुके हैं, लेकिन बदनाम करने के लिए यह मामला उठाया गया। निदेशक प्रो. एएस विद्यार्थी का कहना है कि जांच रिपोर्ट में बोर्ड ऑफ स्टडीज और विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा है, इसीलिए जवाब मांगा गया है।

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