चाणक्य नीति

“कभी – कभी समय के परिवर्तन से,

मित्र भी शत्रु बन जाते हैं…

और शत्रु भी मित्र क्योकि , 

स्वार्थ बढ़ा ही बलवान हैं”…

 

 

चाणक्य नीति

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