जानिए घर व व्यापार में वास्तु सा सही प्रयोग..

वास्तु शास्त्र के बारे में जब भी कोई बात हमारे सामने आती है तो सबसे पहले विचार यही आता है कि आखिर किस तरीके से हम अपने घर व व्यापार में वास्तु सा सही प्रयोग कर लाभ उठा सकते हैं. तो आइये सबसे पहले इस संदर्भ में जानते है कि वास्तु शास्त्र है क्या ? और ये किस प्रकार हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है?

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वास्तु शास्त्र एक प्राचीन कला व विज्ञान है जिसके अंतर्गत किसी भी स्थान के उचित निर्माण से संबंधित वे सब नियम आते हैं जो मानव और प्रकृ्ति के बीच सामंजस्य बैठाते हैं जिससे हमारे चारों ओर खुशियाँ, संपन्नता , सौहार्द व स्वस्थ वातावरण का निर्माण होता है.

वास्तु शास्त्र की रचना पंचतत्व अर्थात धरती, आकाश , वायु , अग्नि, जल व आठ दिशाओं के अंतर्गत होती है.

अपने घर को सही वास्तु शास्त्र के अनुसार सुनियोजित करने के लिए दिशाज्ञान यंत्र अर्थात कम्पास का प्रयोग करें ताकि घर की सही दिशाओं का ज्ञान हो सके.

सबसे पहले घर के पूजा कक्ष अर्थात मंदिर की बात करें तो इसको घर के उत्तर पूर्व { ईशान } दिशा मेम बनवाना चाहिये. अब प्रश्न यह उठता है कि मंदिर के अंदर की आठ दिशाओं की क्या व्यवस्था होनी चाहिये?
ईश्वर की मूर्ति पश्चिम या पूर्व दिशा में स्थापित करनी चाहिये. मंदिर की ईशान { उत्तर पूर्व } दिशा पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थल होता है.

पूजा कक्ष के बाद बात करते हैं शयन कक्ष की . घर के मुखिया के लिए दक्षिण – पश्चिम { नैऋत्य } दिशा का शयन कक्ष बेहतर होता है. मुखिया के बाद घर के बड़े सदस्य को दक्षिण – पूर्व व उसके बाद के सदस्य को उत्तर- पश्चिम दिशा में शयन कक्ष बनवाना चाहिये. बच्चों के लिए उत्तर- पूर्व दिशा में बनवाया गया शयन कक्ष बेहतर रहता है.

शयन कक्ष के अंदर बिस्तर को या तो कमरे के मध्य में रखें या फिर कमरे की दक्षिण – पश्चिम हिस्से में लगायें क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण – पश्चिम हिस्सा सदैव भारी होना चाहिये . बिस्तर कभी भी उत्तर व पूर्व दिवारों से सटा न हो . शयन कक्ष में पुस्तकों की अलमारी आदि दक्षिण – पश्चिम या पश्चिम दिशा में रखें . स्टडी टेबल व चेयर भी इसी दिशा में रखना शुभ माना जाता है. यदि शयन कक्ष में हम टी. वी व अन्य बिजली के उपकरणों का प्रयोग कर रहे हैं तो इनको दक्षिण – पूर्व { आग्नेय } दिशा में लगायें.

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अब हम बात करते हैं बाथरुम की . बाथरुम को घर के उत्तर – पश्चिम कोने में बनवायें. बाथरुम के अंदर ईशान { उत्तर – पूर्व } दिशा में शॉवर या नल लगवाएं . बाथरुम के ईशान क्षेत्र में कभी भी ड्ब्ल्यू. सी ( W.C. ) न लगवाएं . शीशा सदैव पूर्व दिशा में लगाएं. ड्ब्ल्यू . सी को उत्तर – पश्चिम { वायव्य } क्षेत्र में लगवाएं. गंदे कपड़ों को पश्चिम दिशा में रखें. यदि कोई अलमारी हो तो उसे दक्षिण – पश्चिम क्षेत्र में रखें. गीजर, हीटर व अन्य बिजली के उपकरणों को दक्षिण – पूर्व { आग्नेय } दिशा में लगवाएं. बाथरुम का प्रवेश उत्तर या पूर्व में रखें.

आइए अब हम बात करते हैं किचन अर्थात रसोईघर की . किचन को घर के दक्षिण – पूर्व { आग्नेय } दिशा में बनवाना चाहिये. यदि घर का प्रवेश द्वार पूर्व या दक्षिण में हो तो आप किचन को उत्तर – पश्चिम { वायव्य } दिशा में स्थापित करें. खाना बनाने की वर्किंग प्लेट्फार्म को पूर्व दिशा में होना चाहिये क्योंकि खाना बनाते समय यदि खाना बनाने वाले का मुँह पूर्व दिशा में हो तो शुभ माना जाता है. किचन के सिंक को उत्तर – पूर्व { ईशान } दिशा में होना चाहिये . ऐसी मान्यता है कि उत्तर पूर्व दिशा में पानी का प्रवाह बेहद शुभ होता है. किचन में सिलेंडर को दक्षिण – पूर्व { आग्नेय } दिशा में रखें. गीजर व अन्य बिजली के उपकरणों को भी दक्षिण – पूर्व { आग्नेय } दिशा में लगवाएं . किचन के बर्तन , खाने का सामान , अलमारी आदि को दक्षिण व पश्चिम दिशाओं में बनवायें. फ्रिज को उत्तर- पश्चिम क्षेत्र में रखें.

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वास्तु शास्त्र हमारे प्राचीन इतिहास की एक अनमोल देन है. वास्तु शास्त्र के नियमों पर आधारित बने हुए मकान उस घर में रहने वाले सदस्यों के लिए सदैव खुशहाली, संपन्नता, सुख व शांति लाते हैं . आइए अब जानते हैं वास्तु शास्त्र के कुछ खास बिंदु :-

* घर का प्रवेश द्वार उत्तर, उत्तर – पूर्व व पूर्व दिशा में हो तो यह संपन्नता प्रदान करता है. पश्चिम व उत्तर – पश्चिम का द्वार सफलता प्रदान करता है. दक्षिण , दक्षिण – पूर्व व दक्षिण – पश्चिम दिशा के मुख्य द्वार को अशुभ माना जाता है.

* कभी भी पैसों या कीमती वस्तुओं को घर के मंदिर में न छिपाएं.

* घर के मंदिर में भगवान की मूर्ति को सफेद संगेमरमर या चाँदी में बनवाएं.

* हमारे पूर्वजों की तस्वीरों को पूजा घर में कभी भी न लगाएं. पूर्वजों की तस्वीरों को घर के दक्षिण – पश्चिम दिशा में लगाएं.

* घर की सीढि़यों को उत्तर – पूर्व दिशा में न बनवाएं.

* घर के मुख्य द्वार पर सदैव शुभ चिन्हों को लगाएं व घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ तुलसी के पौधे लगाएं.

* बांसुरी के जोड़ों को मुख्य प्रवेश द्वार पर लगाना शुभ होता है.

* घर को साफ करते समय नमक का प्रयोग करने से नकारात्मक ऊर्जाओं का अंत हो जाता है.

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