ग्रामीण अपने हाथों से उजाड़ रहे अपना आशियाना, घाघरा नदी की कटान हुई तेज

रिपोर्ट – सतीश कुमार कश्यप/बाराबंकी 

राजधानी लखनऊ के नजदीक बाराबंकी जनपद में प्रतिवर्ष किसानों की उपजाऊ भूमि एवं उनके मकानों को नष्ट करने वाली घाघरा की बाढ़ का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी तहसील सिरौलीगौसपुर अंतर्गत घाघरा की बाढ़ से टेपरा,तिलवारी,सनावा के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

किसानों का उजड़ा घर

नदी अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है टेपरा गांव के कई लोगों के मकान कट चुके हैं और आज देवस्थान भी घाघरा नदी में समा गया गांव के संपर्क मार्ग के लिए बनी सीसी रोड उखड़ गई लोग अपने अपने अभियानों को उजाड़ उसमें रखा गृहस्थी का सामान बटोर कर वहां से पलायन कर रहे हैं.

यहां के रहने वालो की शायद किस्मत कुछ ऐसी ही है कि अपने हाथ अपना आशियाना बनाते हैं और उजाड़ते हैं प्रशासन की तरफ से अब तक केवल त्रिपाल ही मुहैया कराया गया है बाकी कोई आर्थिक मदद नहीं की गई है.

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बाढ़ को रोकने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए उसकी व्यवस्था में लगाए जा रहे हैं इस बार भी बालू की ड्रेसिंग का कार्य लगभग साढे आठ करोड़ की लागत से बड़े पैमाने पर किया गया लेकिन उसका नतीजा शून्य रहा.

यदि सरकार इसका स्थाई समाधान निकालना चाहे तो निकल सकता हैं लेकिन कोई ठोस कदम नही उठाये जा रहे अब ये सब राम भरोसे ही हैं.

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