गोरखपुर हादसे में हुआ अब तक का सबसे बड़ा खुलासा, जेल जा सकते हैं अखिलेश यादव!

गोरखपुरलखनऊ। गोरखपुर हादसे की जांच शुरू हो चुकी है. बीआरडी अस्पताल के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा और सुपरिंटेंडेंट व वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर काफिल खान को निकाल दिया गया है. इसी के साथ इस मामले में बेहद चौंकाने वाले बड़े-बड़े खुलासे सामने आ रहे हैं, जिन्हे देख देशभर की जनता के पैरों तले जमीन खिसक गयी है. सबसे ज्यादा हड़कंप सपा में मचा है क्योंकि योगी सरकार को बदनाम करने के चक्कर में उनके खुद के पाप खुल कर सामने आ रहे हैं.

मेडिकल कॉलेज का वेंटिलेटर तक कर लिया चोरी!

डॉक्टर काफिल खान बीआरडी अस्पताल में इंसेफेलाइटिस विभाग के इंचार्ज थे. साथ ही उनके पास कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल और अस्पताल अधीक्षक भी जिम्मेदारी थी. खुलासा हुआ है कि ये महाशय मेडिकल कॉलेज में अपनी सरकारी पद का इस कदर दुरुपयोग करते थे, जिसे जानकार आप भौचक्के रह जाएंगे. डॉक्टर काफिल खान जो अपना प्राइवेट नर्सिंग होम चलाते हैं, उसमे इस्तमाल किये जाने वाला ज्यादातर सामान, जान बचाने वाली मशीनें सभी उन्होंने मेडिकल कालेज से चोरी की हैं.

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खुलासा हुआ है कि डॉ काफिल के प्राइवेट नर्सिंग होम का वेंटिलेटर भी मेडिकल कालेज का ही है. जिन 3 ऑक्सीज़न सिलेंडरों को लाकर वो मीडिया में मसीहा बने हुए थे, पता चला है कि उन्हें भी वो मेडिकल कॉलेज से ही चोरी करके अपने नर्सिंग होम ले गए थे.

लाखों की हार्ले डेविडसन से चलता है मीडिया का हीरो!

बलात्कार के आरोप में एक साल की सजा काट चुके डॉ काफिल के खिलाफ चार सौ बीसी का केस भी दर्ज है. इतने आरोपों के बावजूद अखिलेश सरकार के साथ करीबी के चलते उसे मेडिकल कॉलेज की परचेज कमेटी का इंचार्ज बना दिया गया. उसके बाद तो काफिल के दिन ही बदल गए. हर खरीद पर मोटा कमीशन खा-खा कर कुछ ही दिनों में काफिल ने अकूत दौलत जमा कर ली.

अखिलेश यादव सरकार मे DGP रहे जावेद अहमद के रिश्तेदार है DR.. कफील..। जिस गोरखपुर में बहुत कम लोग बुलेट से चलते हैं, वहां कफील लाखों रुपये की हार्ले डेविडसन बाइक से सड़कों पर फर्राटे भरते नजर आते हैं. आक्सीजन सिलेंडर मेडिकल कॉलेज के पैसे से खरीदा जाता रहा, मगर काफिल उस सिलेंडर को अपने प्राइवेट हास्पिटल में यूज करते रहे. क्योंकि वो प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के करीबी रहे, इसलिए कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता था. प्रिंसिपल, उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला और डॉ. काफिल की तिकड़ी ने मिलकर मेडिकल कॉलेज को निजी जागीर बना रखा था.

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ये तो शुक्र है कि इस बईमान ठग डॉक्टर की सच्चाई सही वक़्त पर सामने आ गयी, वरना जिस शिद्दत से देश की मीडिया इसे मसीहा और हीरो बनाने में लगी थी, कुछ ही वक़्त में इसको पद्म सम्मान या शायद भारत रत्न देने की मांग भी करने लगती.

सरकार दवाएं भी करता था चोरी!

सीएम योगी जब जांच के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो उन्हें चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं. बंद कमरे में पूछताछ के दौरान स्टाफ ने खुलासा किया कि प्रिंसिपल राजीव मिश्रा ने डॉक्टर काफिल को परचेज कमेटी का मेंबर बनाकर दवा और उपकरणों की खरीदारी की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. दवाओं की खरीद में अक्सर गड़बड़ियां सामने आती थी. सरकारी पैसों से खरीदी गयी काफी दवाएं काफिल के प्राइवेट नर्सिंग होम पहुंच जाती थी.

इस बारे में शिकायत भी की जा चुकी थी लेकिन हर बार जांच से बचने के लिए डॉक्टर काफिल बीमारी का बहाना बनाकर गायब हो जाता था और अपने नर्सिंग होम में इलाज करता मिलता था. मेडिकल कॉलेज में यदि थोड़ी देर के लिए बैठता भी था, तो वहां भी मरीजों के बीच अपने नर्सिंग होम का प्रमोशन करने लगता था, ताकि सरकारी अस्पताल की जगह मर्रिज उसने नर्सिंग होम में इलाज करवाएं.

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