क्या था गेस्ट हाउस कांड जो बना था सपा-बसपा के ब्रेकअप की वजह…

साल 1995 की गर्मियां दोनों दलों के रिश्ते ख़त्म करने का वक़्त लाईं। इसमें मुख्य किरदार गेस्ट हाउस है। इस दिन जो घटा उसकी वजह से बसपा ने सरकार से हाथ खींच लिए और वो अल्पमत में आ गई।

भाजपा, मायावती के लिए सहारा बनकर आई और कुछ ही दिनों में तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोहरा को वो चिट्ठी सौंप दी गई कि अगर बसपा सरकार बनाने का दावा पेश करती है तो भाजपा का साथ है।

गेस्ट हाउस कांड

वो दौर था जब मुलायम यादव की सरकार थी और बसपा ने समर्थन किया था लेकिन वो सरकार में शामिल नहीं हुई थी।

साल भर ये गठबंधन चला और बाद में मायावती की भाजपा के साथ तालमेल की ख़बरें आईं जिसका ख़ुलासा आगे चलकर हुआ। कुछ ही वक़्त बाद मायावती ने अपना फैसला सपा को सुना दिया।

इस फैसले के बाद मायावती ने गेस्ट हाउस में अपने विधायकों की बैठक बुलाई थी। सपा के लोगों को किसी तरह इस बात की जानकारी मिल गई कि बसपा और भाजपा की सांठ-गांठ हो गई है और वो सपा का दामन छोड़ने वाली है।”

प्रधान ने कहा, ”जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में सपा के लोग गेस्ट हाउस के बाहर जुट गए। और कुछ ही देर में गेस्ट हाउस के भीतर के कमरे में जहां बैठक चल रही थी, वहां मौजूद बसपा के लोगों को मारना-पीटना शुरू कर दिया।

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तभी मायावती जल्दी से जाकर एक कमरे में छिप गईं और अंदर से बंद कर लिया। उनके साथ दो लोग और भी थे। इनमें एक सिकंदर रिज़वी थे। वो ज़माना पेजर का हुआ करता था। रिज़वी ने मुझे बाद में बताया कि पेजर पर ये सूचना दी गई थी कि किसी भी हालत में दरवाज़ा मत खोलना।”

”दरवाज़ा पीटा जा रहा था और बसपा के कई लोगों की काफ़ी पिटाई। इनमें से कुछ लहूलुहान हुए और कुछ भागने में कामयाब रहे। ”

प्रधान के मुताबिक तब बसपा के नेता सूबे के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को फ़ोन कर बुलाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन तब किसी ने फ़ोन नहीं उठाया।

 

 

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