गुजरात में मिले 5 करोड़ साल पुराने जीवाश्म, वैज्ञानिकों ने किया हैरान कर देने वाला दावा
गुजरात में वैज्ञानकों के हाथ 5 करोड़ साल पुराने जीवाश्म लगे हैं। जिसको लेकर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने हैरान कर देने वाला दावा किया है। इस संस्था ने अपने एक शोध के अनुसार बताया कि उन्हें जो जीवाश्म प्राप्त हुए हैं वो करीब 5 करोड़ साल पुराने हैं साथ ही उन्होंने बताया कि यह जीवाश्म घोंड़े और गौंडे के हैं। अब आप सोचेंगे कि इसमें हैरान कर देनें वाली बात क्या है तो आपको बता दें कि वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे यह पता चलता है कि भारत में ही घोंड़ों व गैंडों की उत्पत्ति हुई थी। हालांकि घोंड़े और गैंड़ों की उत्पत्ति को लेकर पहले भी कई वैज्ञानिक दावे कर चुके हैं पर इस बार भारत के इन भू-वैज्ञानिकों ने इस बात को पूरे तथ्यों के साथ का है। संस्था का कहना है कि इस से पहले कभी भी इतने पुराने जीवाश्म किसी को भी प्राप्त नही हुए हैं।
हिमालय भूविज्ञान संस्थान की इस खोज को ‘वर्टेब्रेट पैलिएंटोलाजी’ नाम के एक जर्नल में प्रकाशित किया जा चुका है। यदि बात करें वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक किशोर कुमार की तो उन्होंने बताया कि जीवाश्म को गुजरात के सूरत जिले में ताड़केश्वर स्थित लिग्नाइट की खदान से खोजा गया था। साथ जानकारी दी कि इस जीवाश्म की खोज 5 साल पहले शुरु की गई थी जिसके बाद अब उन्हें सफलता मिल पाई है। वैज्ञानिक ने बताया कि घोड़ों, गैंड़ो के अलावा उन्हें टैरिट (सूंड वाला प्राणी) के जीवाश्म भी प्राप्त हुए। इन जीवाश्म के अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि उस समय इन प्राणियों का आकार एक कुत्ते जैसा था जो कि समय के चलते इनका आकार बढ़ गया।
जानकारी के लिए आपको बतादें कि इससे पहले भी भू-वैज्ञानिकों को ताड़केश्वर की खदान से कई जीवाश्म मिल चुके हैं जैसे कि बंदर, कछुआ, सांप, मेढ़क आदि जिसके बाद वैज्ञानिकों ने इसे अपना केद्रं बना लिया है। संस्थान ने अपने अध्ययन में एक और बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि इस खदान के स्थान पर 5 करोड़ साल पहले एक झील हुआ करती थी। अध्ययन के अनुसार यह भी पता चला कि उन्हें जो जीवाश्म प्राप्त हुए हैं उनमें से उधिकतर जीव शाकाहारी हैं। संस्थान ने अपने इस दावें पर तर्क देते हुए कहा कि शाकाहारी प्राणियों का वासस्थल वहीं होता है, जहां वनस्पति व साफ पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो।