गर्भ में पल रहे बच्चे के बारे में सबकुछ बता देती है ये छोटी सी चीज…लेकिन जरा संभलकर…

आज के जमाने में मेडिकल साइंस काफी आगे बढ़ चुकी है। चुटकी में कठिन से कठिन बीमारियों का पता लगा लिया जाता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी का पता लगाना बहुत ही आसान है। किसी भी मेडिकल शॉप से प्रेग्नेंसी किट खरीदकर घर बैठे ही यह पता लगाया जा सकता है कि महिला गर्भवती है या नहीं।

यह तो रही नए जमाने की बात। अब जरा सोचिए प्राचीन समय में लोग किसी महिला की प्रेग्नेंसी को जांचने के लिए क्या किया करते थे।

गर्भ में पल रहे बच्चे

एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि प्राचीन मिस्र में यानि कि आज से करीब 3500 साल पहले गेहूं और जौ के इस्तेमाल से प्रेग्नेंसी का पता लगाया जाता था। अब आप सोच रहे होंगे कि भला गेहूं और जौ का प्रेग्नेंसी से क्या संबंध?

बता दें, साल 1960 में अल्ट्रासोनोग्राफी का अविष्कार किया गया, लेकिन प्राचीन मिस्र में गेहूं और जौ की मदद से प्रेग्नेंसी टेस्ट कर लिये जाते थे। न्यू किंगडम एरा के पैपीरस (लिखित दस्तावेज) में प्राचीन मिस्र में होने वाले कई तरह के टेस्ट का जिक्र किया गया है।

इसके अनुसार प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए महिलाओं को अपना यूरिन गेहूं और जौ के बैग में डालना पड़ता था। यूरिन डालने के बाद अगर इनमें से कोई बीज उगता था तो इसका मतलब होता था कि महिला प्रेग्नेंट है और अगर कोई रिएक्शन नहीं होता था तो रिजल्ट निगेटिव माना जाता था।

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इतना ही नहीं उस काल में लड़की पैदा होगी या लड़का इसके लिए भी एक अनोखा उपाय निकाला गया था। प्रेग्नेंसी टेस्ट के दौरान अगर यूरिन डालने पर गेहूं खिलता था तो लड़की होती थी और अगर जौ खिल जाता था तो लड़का होने का संकेत माना जाता था।

1500 और 1300 ईसा पूर्व महिलाओं को प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए इन उपायों का ही सहारा लेना पड़ता था। प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए किए जाने वाले ये उपाय वाकई में काफी दुर्लभ और अनोखे हैं।

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