गंगा नदी गई खतरे के निशान के पार, बाढ़ के पानी से करोड़ों की फसल नुकसान

बनारस। पहाड़ों पर हुई बारिश और बैराज से छोड़े गए पानी के चलते धर्म की नगरी काशी में मां गंगा ने अपना विकराल रूप दिखाते हुए खतरे के निशान को पार कर शहर के तटवर्ती इलाकों में तबाही तो मचाया।  इसके साथ ही हमारे अन्नदाता यानि किसान के लिए यह बाढ़ का पानी कहर ढाने वाला साबित हुआ। वाराणसी के रमना इलाके में घुसा बाढ़ का पानी आधे से भी ज्यादा गांव को अपने चपेट में ले लिया। जिसके चलते ग्रामीणों के लगभग 5 करोड़ के फसल का नुकसान हुआ है।

गंगा नदी

वाराणसी में रमना गांव के रहने वाले ग्रामीण इन दिनों दर्द में जीवन यापन कर रहे हैं इसकी वजह कोई बीमारी नहीं बल्कि आफत बनकर आए बाढ़ का पानी है क्योंकि बाढ़ का पानी पूरे गांव को अपने चपेट में ले लिया था। जिसकी वजह से खेती के सहारे अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले लोग इससे प्रभावित है। किसी का 4 बीघा तो किसी का अच्छा तो किसी का 10 बीघा सभी की फसल सब्जियां पूरे तरीके से बाढ़ के पानी के चलते नष्ट हो चुकी हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि हम लोग किसानी ही करते हैं और इसी पैसों के सहारे अपने बच्चों को स्कूल में और शहरों में भेजकर पढ़ाई लिखाई भी करवाते हैं और खेती के कमाई से ही घर के अन्य जरूरी खर्च भी किए जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार हर बार बाढ़ में नुकसान का मुआवजा देने का ऐलान तो करती है लेकिन वह ठीक तरीके से मिल नहीं पाता इस बार भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद वाराणसी आकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हाल जाना था ।

आला अधिकारियों को निर्देश दिया था कि 24 घंटे के अंदर नुकसान का मुआवजा पीड़ितों को मिलना चाहिए ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सरकार तो हर बार ऐलान करती है लेकिन मुआवजा सही तरीके से नहीं मिलता है इसी तरीके से जब 2013 में बाढ़ के पानी ने तबाही मचाई थी तो उस वक्त भी लाखों का जिसका नुकसान हुआ था उसको 2000, 3000 का मुआवजा दिया गया था।

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वहीं गांव के रहने वाले चंद्रबली सिंह बताते हैं कि उन्होंने कई तरह के कोर्स किए हैं लेकिन नौकरी ना मिलने की वजह से वह गांव में खेती का ही काम करते हैं । उन्होंने बताया कि गांव के लगभग 12 सौ बीघे की खेती पूरी तरीके से बाढ़ से नष्ट हो गई है और अगर इसका अनुमान लगाया जाए तो लगभग 4 से 5 करोड़ का इस बार ने किसानों का नुकसान किया है। इसके पहले भी जब नुकसान हुआ था तो मुआवजा लिखा पढ़ी में एक लाख का बना था लेकिन हाथ में मात्र ₹1000 ही प्राप्त हुए थे।

ग्रामीणों के बाद से तो यही लगता है कि उन्हें सरकार द्वारा दी जाने वाली मुआवजे की रकम पर कोई भरोसा नहीं है क्योंकि मुआवजा बनता तो ज्यादा है लेकिन उनके हाथ में उतना रकम नहीं दिया जाता है हालांकि पिछली सरकार और आपकी सरकार बदलने के सवाल पर ग्रामीण कहते हैं कि उम्मीद तो है अब देखने वाली बात है कि क्या होता है ।

 

 

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