खुल गयी भूतों की पोल, इन सभी रहस्यों से उठ गया पर्दा, जान लें अभी कहीं देर ना हो जाए

पश्चिमी देशों में हैलोवीन का त्यौहार ऐसा मौका होता है, जब भूत-प्रेत और अजीबो-गरीब तरह की चीजों की नुमाइश होती है। ये वो मौका होता है, जो गुजर चुके लोगों के धरती पर उतर आने जैसा माहौल देता है। पर, क्या हम भूतों से जिंदगी के कुछ अहम सबक भी सीख सकते हैं? चलिए, इस सवाल का जवाब तलाशते हैं।

खुल गयी भूतों की पोल

आज के हैलोवीन त्यौहार की बुनियाद में सेल्टिक परंपरा का पर्व समहैन था। ईसा से बहुत पहले के भूमध्य सागर और यूरोप में रहने वाले लोग सेल्टिक जबानें बोलते थे।

उनका यकीन बुतों और देवताओं में हुआ करता था। ये लोग समहैन त्यौहार इसलिए मनाते थे क्योंकि उनका मानना था कि साल के इस हिस्से में इस दुनिया और उस दुनिया का फर्क मिट जाता है। इंसान और प्रेत एक साथ धरती पर आबाद रहते हैं।

खुल गयी भूतों की पोल

सातवीं ईस्वी में जब पोप ग्रेगरी, लोगों को ईसाई बनाने की मुहिम में जुटे थे, तो उन्होंने अपने प्रचारकों से अपील की कि वो पगन यानी बुतपरस्ती की परंपरा वाले लोगों की परंपराओं का विरोध न करें बल्कि उनके त्यौहारों का ईसाईकरण कर दें।

तभी से समहैन त्यौहार ऑल सेंट्स डे बन गया। इस त्यौहार में मर चुके लोगों की आत्माओं से संवाद अच्छा माना जाने लगा। ऑल सेंट्स डे को ऑल हैलौज डे भी कहते थे। इससे पहले की रात को हैलोज इवनिंग यानी हैलोवीन कहा जाने लगा।

चर्च की शुरुआती परंपराओं में बुतपरस्तों यानी पगन परंपरा की अहम बुनियाद आत्माओं से संवाद भी शामिल हो गया।

भूतों पर ये यकीन, प्राचीन कालीन यूरोप में चर्च के लिए बहुत फायदे का सौदा साबित हुआ। पोप ग्रेगरी लोगों से कहा करते थे कि जो लोग भूत देखें, वो उनके लिए दुआएं पढ़ें। क्योंकि जो लोग मर चुके हैं, उन्हें दूसरी दुनिया यानी जन्नत के सफर के लिए ऐसी दुआओं की जरूरत होती है।

मध्यकाल में भूत-प्रेत और आत्माओं का ये यकीन चर्च के लिए कारोबार बन गया। चर्च के पादरी लोगों से पाप की माफी के बदले में मोटी रकम वसूलने लगे। भूतों पर भरोसा चर्च के लिए कमाई का जरिया बन गया, तो आम जनता इस ‘भूत टैक्स’ से बेहाल होने लगी।
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जर्मनी के धर्म प्रचारक मार्टिन लूथर की अगुवाई में चर्च के ख़िलाफ उठी आवाज बगावत में तब्दील हो गई। लूथर ने धर्म को लेकर अपने जो 95 उपदेश दिए, वो आज भी जर्मनी के विटेनबर्ग स्थित ऑल सेंट्स कैथेड्रल की दीवारों पर 31 अक्टूबर 1517 को दर्ज किये गए। इस सुधारवाद से ही ईसाई धर्म दो-फाड़ हो गया और प्रोटेस्टेंट व कैथोलिक फिरकों में बंट गया।
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इस सुधारवादी आंदोलन की वजह से ही प्रोटेस्टेंट शाखा को मानने वाले भूत-प्रेत पर यकीन को कैथोलिक फिरके का अंधविश्वास कहने लगे।

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