क्या है बीजेपी का ऑपरेशन लोटस-3? जिसके जरिये येदियुरप्पा हथियाना चाहते हैं कर्नाटक सीएम की कुर्सी

नई दिल्ली। मकर संक्रांति के दिन कर्नाटक और जनता दल (सेक्युलर) की गठबंधन सरकार से दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन वापस लेने का फैसला है। कहा जा रहा है कि दोनों निर्दलीय विधायकों ने विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रलोभन पर अपना फैसला लिया है।

शाह

इसी लिए दक्षिण भारत की सियासत का प्रवेश द्वार माने जाने वाले कर्नाटक में इन दिनों राजनीतिक घमासान मचा हुआ है।

वहीं खबरें यह भी हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद दो दिनों के मुख्यमंत्री रहे पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने एक बार फिर से राज्य में बीजेपी का सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र माने जाने वाले ‘ऑपरेशन लोटस-3’ को लॉन्च कर दिया है। इसके तहत पार्टी जेडीएस और कांग्रेस दोनों के कुछ विधायकों से संपर्क साध रही है और जल्द ही उन्हें अपने साथ ला सकती है।

क्या है ‘ऑपरेशन लोटस-3’?

कर्नाटक में ‘ऑपरेशन लोटस’ नाम का शब्द साल 2007-08 में उस वक्त सुनाई दिया था, जब बीएस येदियुरप्पा पहली बार सीएम बने थे। तत्कालीन समय में बीजेपी की अगुआई वाली गठबंधन सरकार अल्पमत में थी। तब पार्टी ने अन्य दलों के विधायकों से संपर्क साधा था। साथ ही इन विधायकों को तोड़ने में कामयाब रही थी।

इन विधायकों को पार्टी में शामिल कराने के बाद इस्तीफा दिलवाया गया था और दोबारा उपचुनाव में बीजेपी ने सीटें जीतते हुए पर्याप्त संख्याबल का इंतजाम कर लिया था। इस पूरे राजनीतिक उठापटक और सियासी जोड़-तोड़ को कर्नाटक की बीजेपी का ‘ऑपरेशन लोटस’ के रूप में जाना गया। इसी तरह साल 2019 की शुरुआत में भी देखने को मिला है।

भाजपा ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की?

सियासी उठापटक के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने भाजपा पर ‘ऑपरेशन लोटस-3′ के तहत विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है। हालांकि भाजपा ने इन आरोपों को गलत करार देते हुए उल्टा कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन भाजपा विधायकों को लुभाने का आरोप लगाया है।

लिहाजा पार्टी के सभी विधायकों को गुरुग्राम शिफ्ट कर दिया है। इन सबके बीच, राजनीतिक सूत्रों ने कहा है कि कांग्रेस के 10 और जेडीएस के तीन विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। भाजपा की मंशा है कि 13 विधायक जल्द से जल्द इस्तीफा दे दें।

येदियुरप्पा के करीबी विधायक की मानें तो बीजेपी के पास 12 कांग्रेस विधायकों का समर्थन है और वह अब चार से पांच अन्य विधायकों के समर्थन का इंतजार कर रही है। विधायक ने कहा है कि इस बार आपको कोई न कोई नतीजा देखने को मिलेगा। खुद पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने भी कहा है कि राज्य में जल्द खुशखबरी देखने को मिलेगी।’

क्या कहते हैं कर्नाटक विधानसभा के समीकरण?

अगर कर्नाटक विधानसभा की ओर नज़र डालें तो विधान भवन में स्पीकर समेत सदस्यों की संख्या 225 है और बहुमत का जादुई आंकड़ा 113 है। राज्य में वर्तमान स्थिति के लिहाज से कांग्रेस के 79, जेडीएस के 37, केपीजेपी के 1, बीएसपी के 1 विधायक के साथ गठबंधन के पास स्पीकर समेत 119 विधायक हैं। जबकि बीजेपी विधायकों की संख्या 104 है और 2 निर्दलीयों के समर्थन से यह संख्या 106 हो गया है।

फिर भी बीजेपी के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है। लिहाजा बीजेपी के सामने विकल्प यह है कि कांग्रेस या जेडीएस या फिर दोनों के कुल 12 विधायक विश्वास मत के दौरान सदन से वॉक आउट कर जाएं या सदन में मौजूद ही न रहें।

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अगर ऐसा होता है तो कुमारस्वामी सरकार बहुमत साबित नहीं कर सकेगी। हालांकि, बीजेपी यह कोशिश पहले भी कर चुकी है, लेकिन इस बार येदियुरप्पा को उम्मीद इसलिए भी नजर आ रही है क्योंकि गठबंधन के रिश्ते पिछले कुछ समय से अच्छे नहीं चल रहे हैं, जिसकी वजह से कई विधायक खफा हैं।

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