Lohri 2021: क्या आप जानते हैं लोहड़ी से जुड़े 10 रोचक तथ्यों के बारे में? आइए जानें
भारत के अलग-अलग प्रांतों में मकर संक्रांति के आसपास कई त्योहार मनाएं जाते हैं, उन्हीं में से एक लोहड़ी भी है। यह खासकर पंजाब और हरियाणा में मानाया जाता है।
लोहड़ी का वास्तविक अर्थ
लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा गुड़ की रोड़ी शब्द से मिलकर बना है, जो धीरे- धीरे बदलकर लोहड़ी के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
कब मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार
भारत वर्ष की सभी ऋतुओं पतझड़, सावन और बसंत में विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं जिनमें से एक प्रमुख त्योहार लोहड़ी भी है। यह त्योहार बसंत ऋतु के आगमन पर 13 जनवरी, पौष महीने की आखिरी रात को मानाया जाता है।
आग के आसपास का उत्सव
आग के आसपास उत्सव लोहड़ी वाले दिन शाम के समय लकड़ी की आग जलाकर इसके चारों ओर नाचते गाते हुए चक्कर लगाते हैं। आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुती देते हैं । आग की परिक्रमा करते हैं, और आग के चारों ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं।
विशेष पकवान
गजक, रेवड़ी, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी सरसों का साग विशेष पकवान के रूप में बनाए जाते हैं। लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी हेतु लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली इकट्ठा करने में लग जाते हैं।
महिलाओं की विषेशता
पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है। प्राय: घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है। इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है
उत्सव मनाने की मान्यता
बताया जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचाकर एक दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने किसी अच्छे लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी. पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव अत्यधिक महत्व रखता है।
खेत खलिहान का उत्सव
लोहड़ी का सबंध पंजाब के गांव, फसल और मौसम से है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रख ली जाती है। खेतों में सरसों के फूल लहराते दिखाई देते हैं।
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता अनुसार सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है। कथानुसार जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नीं सती ने आत्मदाह कर लिया था। उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है।
लोहड़ी का आधुनिक रूप
आधुनिकता के चलते लोहड़ी मनाने का तरीका बदल गया है, अब लोहड़ी में पारंपरिक पहनावे और पकवानों की जगह आधुनिक पहनावे और पकवानों को शामिल कर लिया गया है। लोग भी अब इस उत्सव में कम ही भाग लेते हैं।
ईरान में भी इसी तरह मनाते हैं उत्सव
ईरान में भी नववर्ष का त्योहार इसी तरह मनाते हैं। आग जलाकर मेवे अर्पित किए जाते हैं। मसलन, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाई जाने वाली लोहड़ी और ईरान का चहार-शंबे सूरी बिल्कुल एक जैसे त्योहार हैं। इसे ईरानी पारसियों या प्राचीन ईरान का उत्सव मानते हैं।