कोविड-19: अगर WHO कर देता पहले से सावधान तो नहीं मचती तबाही? जानें कहां-कहां हुई बड़ी चूक

क्या कोरोना वायरस जो आज वैश्विक महामारी बन चुकी है उसको रोका जा सकता था? आज जब देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर जारी है तब लोगों के मन में यह सवाल बार-बार आ रहा है। लोग इस महामारी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ छोड़ कर भी देखते हैं। इस मामले में जानकार लोग बताते हैं कि अगर डब्ल्यूएचओ इस महामारी के बारे में पहले से सावधान कर देता तो शायद यह संक्रमण महामारी का रूप नहीं लेता। दावा है कि डब्ल्यूएचओ की ओर से इस संक्रमण को लेकर काफी ढ़िलाई बरती गई जिसका खामियाजा आज सभी भुगत रहे हैं।

इसी कड़ी में महामारी से बचाव और तैयारी के लिए बने एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय पैनल ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर कोविड19 के प्रबंधन में हुई खामियों को बताया गया है। रिपोर्ट के जरिए सामने आई कुछ अहम खामियां इस प्रकार हैं-

1- महामारी की घोषणा में हुई देरी 
जानकारों की माने तो कोविड-19 को महामारी घोषित करने में काफी समय लगाया गया। 30 जनवरी तक चीन के हालात विकट हो चुके थे और विश्व के लिए भी यह एक बड़ा खतरा बन चुका था। लेकिन इसको लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई। जब हालात बत्तर हुए तब इसकी घोषणा 11 मार्च को की गई।

2- बेधड़क होती रहीं यात्राएं
डब्ल्यूएचओ की आपात समिति ने तत्काल यात्राओं पर रोक लगाने की सिफारिश नहीं की। ऐसा करते तो महामारी की सीमित रखा जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ यात्राओं को बेधड़क जारी रखा गया। जिसका परिणाम आज हम सभी के सामने है।

3- प्रशासन भी नहीं रहा सफल
विभिन्न देशों की सरकारें 30 जनवरी तक हालात को समझ नहीं पाई। 30 जनवरी को सबसे जोरदार चेतावनी दी गई, लेकिन वाजिब कदम नहीं उठाए गए। 11 मार्च को डब्ल्यूएचओ ने महामारी घोषित किया, लेकिन तब तक कई सरकारें सोती रहीं।

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