केजरीवाल को मिली अनोखी सजा, अब नहीं लगा पाएंगे ठप्पा

केजरीवालनई दिल्‍ली। दिल्ली के चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने सीएम अरविंद केजरीवाल के ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि दिल्ली नगर निगम (MCD) का चुनाव ईवीएम के माध्यम से होगा। दिल्ली में 22 अप्रैल को एमसीडी के चुनाव होंगे और 25 अप्रैल को मतगणना होगी। तारीख के ऐलान के साथ ही अचार संहिता लागू हो गई है।

एमसीडी चुनाव में तय सीमा के तहत उम्मीदवार 5 लाख 75 हजार रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते हैं। एमसीडी चुनाव के लिए 27 मार्च को नोटिफीकेशन जारी होगा और 3 अप्रैल तक नॉमिनेशन वापस लिया जा सकता है।

 बैलट पेपर से हो चुनाव: केजरीवाल

केजरीवाल ने मंगलवार को राज्य निवार्चन आयोग से अगले महीने प्रस्तावित दिल्ली नगर निगम के चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के बजाय मतपत्रों के इस्तेमाल के लिए कहा। केजरीवाल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कुछ राजनीतिज्ञों ने हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने भी इसी मुद्दे पर निवार्चन आयोग को चिट्ठी लिखी है। माकन इससे पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल से इसी तरह का निवेदन कर चुके हैं। माकन ने कहा था कि मुख्यमंत्री को इसका पूरा अधिकार है कि वह मतदान मतपत्र के जरिए करवाएं।

 

माकन ने ट्वीट किया था, ईवीएम पर कई लोग संदेह करते हैं। मैं न तो किसी पूर्वग्रह से ग्रस्त हूं और न ही किसी चुनाव परिणाम पर संदेह कर रहा हूं। मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि अरविंद केजरीवाल एमसीडी चुनाव मतपत्रों के जरिए करवाएं।

ईवीएम में गड़बड़ी का पहला आरोप उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने लगाए हैं। मायावती ने निवार्चन आयोग से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दोबारा मतपत्रों के जरिए चुनाव कराने की मांग भी की। निवार्चन आयोग ने हालांकि उनकी मांग खारिज कर दी है।

2017 के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जीत मिली है वहीं उससे पहले ओडिशा में हुए जिला परिषद चुनाव में भी पार्टी मजबूत होकर उभरी है। वहीं अब जल्द ही दिल्ली में भी निगम चुनाव होंगे और जिस तरह देश में मोदी लहर दौड़ रही है उससे तो यही लगता है कि दिल्‍ली में भाजपा जीत के झंड़े गाड़ दे तो किसी को आश्‍चर्य नहीं होगा।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,  पार्टी ने एमसीडी चुनाव के मद्देनजर किसी भी वर्तमान पार्षद या उसके रिश्तेदार-परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं देने का फैसला लिया है। पार्टी का दावा है कि उसने यह कदम परिवारवाद की राजनीति खत्म करने के लिए उठाया है। जानकारी के मुताबिक पार्टी ने इस फैसले पर बीते रविवार (12 मार्च) को दिल्ली में हुई एक बैठक विचार किया गया था।

गौरतलब है बीजेपी ने मनोज तिवारी को राज्य में पार्टी का प्रेसिडेंट बनाया था। पार्टी का यह फैसला दिल्ली के पूर्वांचल वोटरों को साधने के लिए खासा ध्यान में रखकर लिया गया माना जा रहा है। बता दें कि बीजेपी एमसीडी के तीनों ही कॉरपोरेशन में बीते 10 सालों से सत्ता में है।

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