केंद्र सरकार का एलान , बिटकॉइन जैसे निजी क्षेत्र की क्रिप्टो करेंसी पर लगेगा रोक…

केंद्र सरकार की एक समिति ने बिटकॉइन जैसे निजी क्षेत्र की क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगाने की सिफारिश की है. यह निजी क्षेत्र के क्रिप्टो करेंसी संचालित करने वालों और स्टार्टअप के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. प्रस्ताव के मुताबिक इसकी खरीद-बिक्री करने वालों को 10 साल की सजा दी जा सकती है. लेकिन एक अंतर मंत्रालयी समिति (IMC) ने सभी निजी क्रिप्टो करेंसी को गैर कानूनी घोषित करने और वर्चुअल करेंसी से जुड़ी गतिविधियों को आपराधिक कार्रवाई घोषित करने की मांग की है.

बतादें की अगर इस समिति की सिफारिश सरकार मानती है तो एक सरकारी क्रिप्टो करेंसी के अलावा बाकी सभी ऐसी डिजिटल करेंसी पर रोक लग सकती है. इस कमिटी के चेयरमैन आर्थ‍िक मामलों के सचिव थे. उनके अलावा समिति में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के सचिव, सेबी के चैयरमैन और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर शामिल थे. लेकिन समिति ने इस बात की भी सिफारिश की है कि एक सरकारी डिजिटल करेंसी (ओडीसी) की शुरुआत की जाए और उसे रिजर्व बैंक के रेगुलेशन में चलाकर कानूनी दर्जा दिया जाए.

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सोमवार को सरकार को सौंपी गई और इसके साथ एक बिल का प्रारूप भी जमा किया गया है. सरकार संबंधित मंत्रालयों और रेगुलेटरी अथॉरिटीज के सहयोग से आईएमसी की इस रिपोर्ट और बिल के प्रारूप की समीक्षा और आकलन करने के बाद ही इस पर कोई अंतिम निर्णय लेगी.

देखा जाये तो बैनिंग ऑफ क्रिप्टो करेंसी ऐंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2019′ का प्रारूप और आईएमसी रिपोर्ट की कॉपी वि‍त्त मंत्रालय के आर्थ‍िक मामलों के विभाग की वेबसाइट पर सूचीबद्ध की गई है. दुनिया भर में बिटकॉइन, रिप्लड, एथेरम और कार्डनो जैसे करीब 2,116 क्रिप्टो करेंसी प्रचलित हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण 119.46 अरब डॉलर है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘जहां तक निजी क्षेत्र के क्रिप्टो करेंसी की बात है, उनके साथ जुड़े जोखिम और उनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए समिति ने भारत में क्रिप्टो करेंसी को बैन करने की सिफारिश की है और भारत में क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी किसी भी गतिविधि को संचालित करने वालों के लिए जुर्माना और फाइन लगाने की भी सिफारिश की है. आईएमसी ने क्रिप्टो करेंसी मामलों आगे विचार के लिए एक स्थायी समिति भी बनाने की सिफारिश की है.

समिति ने उन सभी डिजिटल रुपये, या डिजिटल विदेशी मुद्रा को बैन करने लायक क्रिप्टो करेंसी माना है, जिन्हें रिजर्व बैंक के रेगुलेशन के तहत संचालित नहीं किया जा रहा. समिति ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी से किसी भी तरह से मुद्रा का उद्देश्य पूरा नहीं होता और किसी भी देश में इन्हें कानूनी वैधता हासिल नहीं है. सरकार ने क्रिप्टो करेंसी से जुड़े मसलों पर विचार के लिए नवंबर, 2017 में इस अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया था.

दरअसल क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जो कंप्यूटर एल्गोरिद्म पर बनी होती है. यह एक स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं होता. यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती. डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. इंटरनेट पर इस वर्चुअल करेंसी की शुरुआत जनवरी 2009 में बिटकॉइन के नाम से हुई थी.

इस वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल कर दुनिया के किसी कोने में किसी व्यक्ति को पेमेंट किया जा सकता है और सबसे खास बात यह है कि इस भुगतान के लिए किसी बैंक को माध्यम बनाने की भी जरूरत नहीं पड़ती. यह पीयर टू पीयर टेक्नोलॉजी पर आधारित है. नोटबंदी के दौरान भारत में बिटकॉइन की कीमतों में काफी उछाल आया था.

 

 

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