किसानों को लेकर सिर्फ ‘टाइमपास’ कर रही सरकार, शिवसेना ने केंद्र पर लगाए तमाम आरोप

दिल्ली में किसानों का कृषि कानूनों के खिलाफ 12वें दिन भी प्रदर्शन (Kisan Protest) जारी है। इस मामले को सुलझाने के लिए केंद्र व किसानों के बीच 5वें दौर की बातचीत भी विफल रही। बता दें कि किसानों की नराजगी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। वहीं किसानों ने सरकार को चुनौती देते हुए 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान कर दिया है। किसानों द्वारा भारत बंद के ऐलान का समर्थन देश के कई राजनीतिक दल कर रहे हैं। इसी कड़ी में शिवसेना ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला।

किसानों द्वारा चल रहे आंदोलन का शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना में जिक्र करते हुए कहा कि, “भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हैदराबाद महानगरपालिका में अच्छी सफलता हासिल की। सरकार चुनावी जीत-हार में संतुष्ट हो रही है और वहां दिल्ली की सीमा पर किसानों का घेरा उग्र होता जा रहा है। येन-केन-प्रकारेण समाज में जाति-धर्म के नाम पर फूट डालकर फिलहाल चुनाव जीतना आसान है, लेकिन दिल्ली की दहलीज पर पहुंच चुके किसानों की एकजुटता में फूट डालने में असमर्थ सरकार मुश्किलों में घिर गई है।”

शिवसेना ने केंद्र को घेरते हुए कहा कि, “किसानों को सरकार के साथ चर्चा में बिल्कुल भी दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है। सरकार सिर्फ टाइमपास कर रही है और टाइमपास का उपयोग आंदोलन में फूट डालने के लिए किया जा रहा है. किसान आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा है कि कृषि कानून रद्द करोगे या नहीं? हां या ना, इतना ही कहो! सरकार ने इस पर मौन साध रखा है।”

आगे शिवसेना ने मोदी सरकार को अपना निशाना बनाते हुए कहा कि, “मोदी सरकार आने के बाद से कारपोरेट कल्चर बढ़ा है ये सत्य ही है, लेकिन हवाई अड्डे, सरकारी उपक्रम दो-चार उद्योगपतियों की जेब में तय करके डाले जा रहे हैं। अब किसानों की जमीन भी उद्योगपतियों के पास जाएगी. अर्थात एक तरह से पूरे देश का ही निजीकरण करके प्रधानमंत्री वगैरह सीईओ के तौर पर काम करेंगे। देशी ईस्ट इंडिया कंपनी की यह शुरुआत है। अब स्वतंत्र हिंदुस्तान में सरकार देशी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कर रही है।”

इतना ही नहीं शिवसेना ने सरकार पर किसानों की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि, “सरकार अब प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर किसानों की आवाज न दबाए। जनता भड़क जाती है और अनियंत्रित हो जाती है, तब बहुमत की सरकारें भी डगमगाकर गिर जाती हैं और बलवान समझा जानेवाला नेतृत्व उड़ जाता है। किसानों ने तय किया है कि अब पीछे नहीं। किसान अब दिल्ली में घुसकर संसद भवन को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी नए संसद भवन के भूमिपूजन का मुहूर्त करेंगे व उसी समय पुराने ऐतिहासिक संसद भवन पर पहुंचने की तैयारी कर रहे किसानों पर सरकार आंसू गैस और बंदूक चलाएगी।”

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