‘बार-बार मम्मी’ बनने पर लोकसभा लगाएगी रोक!
नई दिल्ली। सोमवार को लोकसभा में हंगामे के बीच कमर्शियल सरोगेसी (किराए की कोख) पर रोक लगाने वाला बिल पेश किया गया। इस विधेयक में महिलाओं को उत्पीड़न से संरक्षण और सरोगेसी से जन्मे बच्चे के अधिकारों को सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं।
सरोगेसी (रेग्यूलेशन) बिल 2016 को लोकसभा में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने पेश किया। सदन में नोटबंदी पर हो रहे हंगामें के चलते बिल पर पूरी तरह चर्चा नहीं हो पाई और लोकसभा को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
अगर इस विधेयक को संसद से मंजूरी मिल जाती है तो देश में कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। हालांकि, जरूरतमंद नि:संतान दंपत्तियों को कड़े नियमों के तहत सरोगेसी की मदद से बच्चे को जन्म देने की अनुमति मिलेगी।
यह विधेयक केवल भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी, एनआरआई और पीआईओ को भी देश में व्यवसायिक सरोगेसी का लाभ उठाने की इजाजत नहीं देगा। इनके अलावा समलैंगिक, अकेले माता-पिता और लिव-इन में रहने वालों को भी इसका अधिकार नहीं मिल पाएगा। बिल पास होने के बाद जिन लोगों की पहले से ही संतान है, उन दंपतियों को सरोगेसी का लाभ उठाने की इजाजत नहीं होगी। हालांकि, वे एक अलग कानून के तहत बच्चे को गोद लेने के लिए स्वतंत्र होंगे।
सरोगेसी को लेकर देश में कोई कानून न होने के कारण विदेशी लोगों के लिए भारत कमर्शियल सरोगेसी का हब बन गया है। ऐसे कई मामले हैं जिनमें गैर-कानूनी तरह से महिलाओं का उत्पीड़न कर उन्हें सरोगेसी के लिए मजबूर किया जा रहा है।