नार्वे की 90 कंपनियां भारत में कर्मचारी बढ़ाने की तैयारी में, युवाओं के लिए बेहतर मौका

कंपनियांनई दिल्ली। भारत में काम करने वाली नार्वे की 90 कंपनियां यहां के व्यापार में अनुकूलता की वजह से निकट भविष्य में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की तैयारी में है, लेकिन इसमें नौकरशाही और भ्रष्टाचार उनके सामने चुनौती है।

नार्वेजियन बिजनेस एसोसिएशन इंडिया (एनबीएआई) और मुंबई के नार्वे उच्चायोग द्वारा किए गए पहले बिजनेस क्लामेट सर्वेक्षण के अनुसार, 62 फीसदी कंपनियों ने भारत को व्यापार के लिए अनुकूल पाया। सर्वे में दिल्ली के नार्वे दूतावास के इनोवेशन नार्वे ने भी सहयोग किया।

सर्वेक्षण का परिणाम बीते महीने जारी किया गया। इस सर्वेक्षण में नार्वे की कंपनियों के लिए मौजूदा और निकट भविष्य के व्यापार का आकलन किया गया। इसमें विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

भारत में नार्वे की 90 कंपनियां संचालित हो रही हैं। बड़ी कंपनियों में टेलेनॉर, डीएनबी, एकेर सोल्यूशंस, कोंगसबर्ग, जोतुन, स्टेटक्राफ्ट नोरफंड पॉवर, डेट नॉरसके वेरिटास और एल्केम शामिल हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार, इसमें 59 फीसदी कंपनियां अगले साल कम से कम 20 प्रतिशत कर्मचारी बढ़ाने की सोच रही हैं। नार्वे के भारत में राजदूत नील्स रगनार कामसवग ने आईएएनएस से कहा, “टेलीकॉम, ऑयल एंड गैस, निर्माण, परामर्श, समुद्री और समुद्री (मत्स्य) नार्वे की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।” उन्होंने कहा कि 35 फीसद से ज्यादा नार्वे की कंपनियां समुद्री क्षेत्र में हैं।

एनबीएआई के अध्यक्ष रिचर्ड चैपमन के अनुसार, नार्वे का दुनियां में पांचवां सबसे बड़ा व्यापारी बेड़ा है। उन्होंने कहा, “वे यहां –नाविकगण और सेवा– दो वजहों से हैं।” सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में नार्वे की कंपनियों को अधिकतम अवसर उपकरण आपूर्ति (83 फीसद), जहाज डिजाइन (75 फीसद) और नौवहन प्रणाली (71 फीसद) में प्राप्त है।

भारत सरकार द्वारा बुनियादी सुविधाओं के देने से नार्वे की कंपनियों की जहाज निर्माण में रुचि बढ़ी है। राजदूत कामसवाग ने कहा, “हमारे ज्यादातर निवेश प्रौद्योगिकी चालित हैं। इसमें डीप-सी ड्रिलिंग प्रौद्योगिकी से समुद्री क्षेत्र से तेल और गैस निकालना शामिल है। हम उप समुद्री प्रौद्योगिकी के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक हैं।” सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में व्यापार की आसानी को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारकों में नौकरशाही (50 फीसदी) और भ्रष्टाचार (41 फीसद) हैं।

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