एक बार फिर शेयर बाजार में लुढ़का सेसेक्स , निफ्टी 10,950 के नीचे हुआ बंद…

कारोबार बाजार में आजकल मंदी का दौर चल रहा हैं. देखा जाये तो सोने कि कीमत के साथ – साथ शेयर बाजार भी लुढ़कता हुआ नज़र आ रहा हैं. बतादें कि भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को निचा स्तर देखने को मिला हैं.

 

 

 

खबरों के मुताबिक कारोबार के अंत में सेंसेक्स 383 अंकों की कमजोरी के साथ 37,068 के स्तर पर बंद हुआ तो वहीं निफ्टी 98 अंकों की गिरावट के साथ 11000 के स्तर के नीचे 10,948.30 पर आ गया. निगेटिव संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को चौतरफा बिकवाली देखने को मिली. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 383 अंकों की कमजोरी के साथ 37,068 के स्तर पर बंद हुआ तो वहीं निफ्टी 98 अंकों की गिरावट के साथ 11000 के स्तर के नीचे 10,948.30 पर आ गया.

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यह लगातार दूसरा कारोबारी दिन है जब बाजार में गिरावट देखने को मिली है. इन दो दिन में सेंसेक्‍स 572 अंक कमजोर हुआ है. निफ्टी की बात करें तो 157 अंक की गिरावट दर्ज की गई है. कारोबार के दौरान बैंकिंग सेक्‍टर के शेयर में सबसे अधिक गिरावट रही. वहीं सनफार्मा की अगुवाई में फार्मा सेक्‍टर के शेयर मजबूत नजर आए.

दरअसल बैंकिंग सेक्‍टर के शेयर में भी गिरावट का दौर जारी है. गुरुवार को सबसे अधिक गिरावट एक बार फिर यस बैंक (3.61 फीसदी) के शेयर में रही. इससे पहले बुधवार को यस बैंक के शेयर 7.13 फीसदी लुढ़क गए. दरअसल, ग्‍लोबल रेटिंग्स एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने यस बैंक को डाउनग्रेड करके जंक वर्ग में डाल दिया है. बता दें कि बैंक का शेयर इस साल 68% से ज्यादा गिरा है और मार्केट कैपिटलाइजेशन में 26,000 करोड़ रुपये की गिरावट आई है. इसके अलावा एसबीआई, ICICI बैंक, कोटक बैंक, एक्‍सिस बैंक और एचडीएफसी के शेयर में भी गिरावट दर्ज की गई.

कारोबार के दौरान ऑटो सेक्‍टर के शेयर में बड़ी गिरावट देखने को मिली. महिंद्रा, टाटा मोटर्स, हीरो मोटो और बजाज ऑटो के शेयर लाल निशान पर बंद हुए. वहीं मारुति में मामूली बढ़त देखने को मिली. ऑटो सेक्‍टर में गिरावट की सबसे बड़ी वजह फिच सॉल्यूशन्स मैक्रो रिसर्च एजेंसी का बयान है.

वहीं इस फिच सॉल्यूशन्स मैक्रो रिसर्च के मुताबिक बीते सप्‍ताह वित्‍त मंत्री निर्मला का ऑटो इंडस्‍ट्री के लिए किए गए ऐलान उत्‍साहित करने वाले नहीं हैं. फिच सॉल्यूशन्स ने कहा कि ऑटो सेक्‍टर की नरमी को थामने के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर में कमी और पुराने वाहनों को रद्दी में भेजने की योजना जैसे कदम उठाये जाने चाहिए.

 

 

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