उम्र के 80वें पड़ाव पर यह 2 दादियां बनी पंजाब की पोस्टर वुमेन, कंगना को भी कराया था चुप

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार सातवें दिन भी जारी है। इस बीच सरकार से हुई वार्ता विफल होने के बाद किसान लगातार अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। किसान अपना बोरिया-बिस्तर और राशन लेकर दिल्ली कूच के लिए बॉर्डर पर डटे हुए हैं। वहीं इस आंदोलन में भी महिलाओं की अच्छी खासी संख्या देखने को मिल रही है। प्रदर्शन में कई बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल है। जिसमें से दो दादीयां अब केंद्र सरकार के खिलाफ जारी प्रदर्शन की पोस्टर वुमेन बन चुकी हैं।
यह दादी बठिंडा की मोहिंदर कौर और बरनाला की जंगीर कौर हैं। यह दोनों ही दादी उम्र के 80वें पड़ाव पर हैं। बावजूद इसके यह परिवार और बाकी किसानों के लिए आवाज उठाने वाली झंडाबरदार बनी हुई हैं। वहीं सोशल मीडिया पर भी इनकी खूब हौसलाफजाई हो रही है।

आपको बता दें कि फतेहगढ़ के जांदिया गांव की रहने वाली दादी मोहिंदर के परिवार के पास तकरीबन 12 एकड़ की जमीन है। मोहिंदर की जो तस्वीर वायरल हो रही है उसमें वह कमर झुकाकर चल रही हैं। इसी के साथ वह एक हाथ में भारतीय किसान यूनियन का झंडा थामे हुए हैं। मोहिंदर की यह तस्वीर उस दौरान की है जब वह संगत गांव में एक पेट्रोल पंप पर प्रदर्शन के लिए गई हुई थीं।

कंगना ने मोहिंदर को समझा था शाहीनबाग वाली दादी

बीते दिनों कंगना का एक ट्वीट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। जिसमें वह मोहिंदर पर अपना बयान देकर फंस गयी थीं। यह ट्वीट मोहिंदर को 82 साल की बिल्किस बानो समझकर किया गया था। बिल्किस जो सीएए के खिलाफ शाहीनबाग आंदोलन का चेहरा थीं। उन्हें टाइम मैगजीन ने 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया था। जिसके बाद ट्वीट में लिखा गया था कि यह वही दादी हैं जिन्हें टाइम मैगजीन ने मोस्ट पावर(फुल) बताया था। यह 100 रुपये में उपलब्ध हैं।

वहीं कंगना के इस ट्वीट का जवाब मोहिंदर की ओऱ से दिया गया था। उन्होंने कहा था कि उनके परिवार के पास पर्याप्त पैसा है। वह पैसे लेने के लिए आंदोलन में नहीं जाएंगी। मोहिंदर ने सितंबर माह में अपने पति लाभ सिंह के साथ बादल गांव में भी कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसी के साथ उन्होंने कहा था कि वह अब दिल्ली जाना चाहती हैं।

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