

अमेरिका के स्ट्रेटफोर्ड यूनिवर्सिटी की टीम ने दुनिया के दो प्रतिशत शीर्ष वैज्ञानिकों की सूचि जारी की है। इसमें ऐसे वैज्ञानिकों के नाम हैं जिनके शोध कार्यों ने संबंधित क्षेत्रों की प्रगति में योगदान दिया है। इस सूचि में कौड़ीराम क्षेत्र में जानीपुर स्थित बांसीपुर गावं के रामदरश यादव के पुत्र डॉ. धनंजय यादव भी शामिल हैं।
डॉ. धनंजय की प्रारंभिक व उच्च शिक्षा की पढ़ाई गोरखपुर से हुई है। चिलवां के वंशी इंटर कॉलेज से हाईस्कूल व विद्यापीठ इंटर कॉलेज, ककरही से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. धनंजय ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सेंट एंड्रयूज कॉलेज से बीएससी की पूढ़ाई पूरी की। फिर गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर के एमएससी पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया।
यहां के बाद आईआईटी रुड़की पहुंचे। वहां से वर्ष 2013 में मैथमेटिक्स में पीएचडी की और यूनिवर्सिटी ऑफ निजवा ओमान में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए। इसके बाद शोधकार्य के लिए दक्षिण कोरिया और कनाडा गए। डॉ. धनंजय ने छह से ज्यादा क्षेत्रों में शोध किए हैं। कुछ क्षेत्रों में अब भी शोध कर रहे हैं। डॉ. धनंजय की उपलब्धि से क्षेत्रवासी व परिवार के लोग गदगद है।
डॉ धनंजय ने निम्नलिखित विषयों पर शोध किया है। सीओटू कैप्चर, स्टोरेज एंड ऑयल रिकवरी, फ्लूड मैकेनिज्म, हाइड्रो डायनमिक्स एंड हाइड्रो मैग्नेटिक व एनवायरमेंटल एनालिसिस सहित अन्य आदि।
दुनिया के शीर्ष विज्ञानियों में शुमार डॉ. धनंजय यादव को मुकाम दिलाने में सच्चे हमराही का हाथ है। विज्ञानी के पिता रामदरश यादव पिछले 30 वर्षों से समाचार पत्र वितरित कर रहे हैं। यह सिलसिला अब भी जारी है।
बांसगांव तहसील क्षेत्र के बांसीपुर गांव निवासी रामदरश यादव के दो बेटे व तीन बेटियां हैं। सब पढ़ने में अच्छे थे। लिहाजा, रामदरश ने पत्र वितरण का काम शुरू कर दिया। बच्चों का दाखिला सरकारी विद्यालयों में कराया। डॉ. धनंजय शुरू से ही पढ़ने में अच्छे रहे और आगे निकलते चले गए। अब बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।
हमराही रामदरश यादव कहते हैं कि बेटा लायक बनकर मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। दुनिया के प्रतिष्ठित विज्ञानियों में नाम है। वह कहता है पिता जी अब आप आराम करिए। सब कुछ हो जाएगा, लेकिन हम नहीं मानते हैं। 55 वर्ष के हो चुके हैं, फिर भी रोजाना तड़के अखबार बांटने निकल जाते हैं। इन दिनों वे केवल अमर उजाला वितरित करते हैं। वे कहते हैं कि जब तक ताकत रहेगी, तब तक अखबार बांटेंगे। इसी काम के सहारे बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़े हैं।
खुद आठवीं पास रामदरश यादव शान से कहते हैं कि बेटे ने मैथमेटिक्स से पीएचडी की है। इससे बड़ी खुशी एक पिता के लिए और क्या हो सकती है। बेटा लायक है, फिर भी सामान्य परिवार में शादी की है। बहू प्रियांजलि भी ओमान रहती है। तीन बेटियों की शादी कर दी है। छोटा बेटा संजय यादव कारोबारी हैं। चार वर्ष पहले रामदरश की पत्नी का निधन हो गया था।