इस पुराने किले पर लगा है ऐसा आधुनिक हथियार, जिसके आगे हार जायेगी पाक आर्मी….

दुनिया के आधुनिक से आधुनिक हथियार की परख की जाए तो भी ऐसा हथियार नहीं मिलेगा, जो एक साथ हजारों गोलियां दाग सके। लेकिन 11वीं सदी में अलवर में एक ऐसा हथियार बनाया गया था जो एक साथ 6798 गोलियां दाग सकता था।

इतनी गोलियों की एक साथ बौछार से मजबूत से मजबूत दुश्मन भी भाग खड़ा होता था। वह हथियार आज भी अलवर की शान बना हुआ है।

चौंक गए न, कि ऐसा कौनसा हथियार है जो एक साथ इतनी गोलियां दाग सकता है?

अजब गजब

आइए हम आपको बताते हैं कि वह कौनसा हथियार है और कैसे उससे एक साथ इतनी गोलियां बरसाई जा सकती थी? इस हथियार की एक विशेषता यह भी रही है कि गोलियां दागने वाले को शत्रु देख भी नहीं सकता कि गोलियां कौन बरसा रहा है।

इसलिए वह सुरक्षित भी रहता था और दुश्मन के छक्के छूट जाते थे। जी हां, दरअसल हम बात कर रहे हैं अलवर के बाला किले की।

किले का निर्माण 11वीं सदी में अलघुराय ने करवाया था। वे आमेर के शासक थे। प्रारंभ में यहां एक गढ़ी का निर्माण हुआ।

अलघुराय के बाद इनकी दूसरी वंशावली के शासक जो कि निकुंभ क्षत्रीय कहलाए, उन्होंने इस गढ़ी का निर्माण किया।

1492 तक यहां निकुंभों का शासन रहा। उनसे यह किला अलावल खान ने छीन लिया।

उनके बाद उनके भतीजे हसन खां ने अलवर की बागडोर संभाली और किले की मरम्मत करा उसे नया रूप दिया।

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इस किले का शिल्प यादियानी शिल्प जाति का है। यह किला समुद्रतल से 1960 फुट ऊंचा और भूमि से 1000 फुट ऊंचा है।

उत्तर से दक्षिण तक यह तीन मील लंबा और पूर्व से पश्चिम तक यह एक मील चौड़ाई में विस्तृत है।

इसकी परिणी छह मील है। बाला किले में 15 बड़ी और 52 छोटी बुर्ज स्थित हैं, जिनमें 444 गोली छिद्र और 3359 कंगूरे हैं।

प्रत्येक कंगूरे में दो-दो छिद्र हैं, जिनमें से गोलियां दागी जाती थी। तो है ना यह कमाल की मशीन, जिससे एक साथ इतनी गोलियां दागी जा सकें।

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