इस पुराने अनोखे दर्पण से लकवा जैसी गंभीर बीमारियों से मिलता है निजात…

PLACE-AMETHI

REPORT – LOKESH TRIPATHI

 

आज के इस वैज्ञानिक युग में तमाम तरह की चीजें ऐसी है। जिन पर विश्वास नहीं होता है पर कहीं ना कहीं कुछ तो अवश्य है जिससे लोगों में ऐसी चीजों के प्रति आस्था, खिंचाव और लाभ महसूस होता है । ऐसा ही एक अनोखा दर्पण अमेठी जनपद में मौजूद है जिसको देखने मात्र से ही लकवा जैसी गंभीर बीमारियों से निजात मिलती है।

 

 

 

 

 

बता दें कि अमेठी जनपद की सदर तहसील गौरीगंज अंतर्गत जामो विकासखंड के जनापुर गांव में कुलदीप सिंह के घर एक बहुत ही पुराना अनोखा दर्पण रखा हुआ है । कहते हैं जिसको देखने मात्र से ही लकवा की बीमारी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है । लकवा के रोगी प्रतिदिन इस शीशे को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं । कहते हैं कि प्रतिदिन सुबह 1 घंटे के लगभग 20 दिन तक देखने से लकवा की बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है। शीशे के मालिक बताते हैं कि अभी तक इस को देखकर कई हजार लोगों की लकवा जैसी गंभीर बीमारी से निजात मिली है और यह लगभग 200 वर्ष पुराना शीशा है ।

 

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इस दर्पण के विषय में घर के लोगों को पहले नहीं पता था लेकिन सैकड़ों वर्षों पहले कुछ साधु आए थे घर में रुके थे सुबह उन्हीं को देखने के लिए शीशा दिया गया था तभी उन लोगों ने इस आईने को देखकर इसके गुण के विषय में बताया था कि यह बहुत ही दुर्लभ है आईना है । अगर इस आईने को लकवा के रोगी प्रतिदिन 1 घंटे देखें तो निश्चित रूप से लकवा जैसी गंभीर बीमारियों से निजात मिल सकती है। जिसके बाद से लकवा के रोगियों के द्वारा यह देखा जाने लगा और लोगों को राहत महसूस हुई । गृह स्वामी बताते हैं कि आज तक ऐसा कोई पेशेंट नहीं आया है कि जो ठीक ना हुआ हो। हम लोग इसका कोई चार्ज नहीं लेते हैं यह बिल्कुल निशुल्क रहता है इसको देखने के लिए दूर-दूर से प्रतिदिन लोग आते हैं और लाभ प्राप्त करते हैं।

 

जादुई दर्पण को देख कर लाभ प्राप्त करने 8 किलोमीटर दूर से आये जालिम सिंह का पुरवा निवासी मोहम्मद मतीन ने बताया कि हम लोग लगभग सात-आठ दिन से आ रहे हैं हमारी पत्नी के लकवा गिर गया था और मुंह टेढ़ा हो गया था तथा आंख भी बंद नहीं हो रही थी आंख से पानी निकलता था । बहुत ही तकलीफ थी अब तो काफी आराम हो गया है । हमको बहुत फायदा मिला है प्रतिदिन हम लगभग 1 घंटे आईने को देखते हैं यहां पर कोई इसका चार्ज नहीं लगता है। फ्री में काम होता है हमारा दवा का पैसा बच रहा है और फायदा हो रहा है । लगभग पूरा ठीक हो गया है बस बहुत थोड़ा सा ही बचा है ।

 

वहीं पर इस दुर्लभ दर्पण को देख कर लाभ प्राप्त करने आए मोहम्मद आरिफ ने बताया कि हमारी माता जी को लकवा हो गया था । हम लोग लगभग आठ-दस दिनों से यहां पर आ रहे हैं। गांव के लोगों ने बताया था कि यहां पर शीशा देखने से लकवा के मरीजों को लाभ मिलता है। इसलिए हम भी आए हैं अभी हमको अंतर समझ में आ रहा है। यह कुछ बोल नहीं पाती थी और आंख नहीं खुलती जी अब आंख खुलने लगी है । वहीं पर पीड़िता ने बताया कि हमको आधा फायदा हो चुका है अभी आधा बचा हुआ।

 

वहीं पर 18 किलोमीटर दूर से आए राम कुमार ने बताया कि हमारे लड़के को लकवा की बीमारी लग गई थी। जिसके चलते उसका मुंह टेढ़ा हो गया था तब हमने दो-तीन दिन दवा कराया और उसके बावजूद आराम नहीं महसूस हुआ तब फिर हम लोग यहां पर लेकर आए इसके विषय में गांव के ही लोगों ने हमको बताया तब हम यहां पर लेकर आए है। अभी कल और आज आज 2 दिन ही हुआ आते हुए।

 

यहां पर आने वाले सभी लोगों को लाभ प्राप्त होता है। यह बहुत बड़ी बात है और इसका ₹1 शुल्क भी नहीं लगता है। पूरी तरह निशुल्क सेवा है । जिसमें गरीबों को पैसे नहीं खर्च करने पड़ते हैं और उनको लाभ भी मिल रहा है। अब यह विज्ञान के आगे एक बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है । आखिर कोई आईना देखकर कैसे पैरालिसिस जैसी गंभीर बीमारियों से निजात पा सकता है । लेकिन जब तीमारदार और मरीज स्वयं इसकी पुष्टि कर रहे हैं तो कहने के लिए कुछ बचता ही नहीं है।

 

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