इस देश ने बनाए नए नियम, सरकारी नौकरी चहिए तो पैदा करने होंगे अधिक-से-अधिक बच्चे…
डेस्क। दक्षिण कोरिया में वहां की सरकार लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। प्रोत्साहन के लिए दक्षिण कोरिया सरकार ने कई उपायों को जारी किया हुआ है, जिनमें से एक उपाय के तहत वो अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी नौकरी दे रही है।
एक ओर तो दुनिया पिछली जनरेशंस में ज्यादा बच्चे पैदा हो जाने की वजह से बढ़ी हुई जनसंख्या के दुष्प्रभावों को झेल रही है, दूसरी ओर जब कुछ देशों में बच्चा पैदा करने के लिए कुछ नियम बना दिए गए तो परिणाम वहां की बूढ़ी जनसंख्या के तौर पर सामने आने लगा। पहले बढ़ी और बाद में बूढ़ी जनसंख्या की समस्या। इसे देखते हुए कई देश फिर से अपने नियम-कानून बदल रहे है। इन्हीं देशों में से एक दक्षिण कोरिया भी है।
दक्षिण कोरिया में वहां की सरकार लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। प्रोत्साहन के लिए दक्षिण कोरिया सरकार ने कई उपायों को जारी किया हुआ है, जिनमें से एक उपाय के तहत वो अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी नौकरी दे रही है। बताया जा रहा है कि दक्षिण कोरिया की सरकार उन सभी लोगों को भी आर्थिक सहायता देगी, जिनको किसी भी प्रकार की प्रजनन समस्या है।
यो सहायता कोरियन सरकार सभी वर्ग के लोगों को देगी। इस योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को लगभग 60 हजार रूपए मिलेंगे। जानकारी के लिए आपको बता दें कि साल 1960 के दशक के बाद से दक्षिण कोरिया में जन्म दर में तेजी से गिरावट आई है और सरकार ने इसको काबू करने के लिए करोड़ो डॉलर खर्च कर दिए, लेकिन कोई भी फायदा नहीं निकल हुआ। अब कई और योजनाएं कोरियन सरकार ने इसके लिए चलाई हैं।
इसके अलावा प्रजनन संबंधी उपचार करा रहे लोगों को अगले साल जुलाई से तीन दिन की अवैतनिक छुट्टी की गारंटी दी गई है। दूसरा बच्चे के जन्म पर पिताओं को पितृत्व अवकाश भुगतान बढ़ाने का भी ऐलान किया गया है। तीन या ज्यादा बच्चों वाले घरों को सार्वजनिक शिशु देखभाल की सुविधाओं में प्राथमिकता दी जाएगी। दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य मंत्री जंग चिन यू का मुताबिक जन्म दर में गिरावट को रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जानी चाहिए।
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वहीं, कुछ आलोचक इस बारे में कहते है कि दक्षिण कोरिया के कॉर्पोरेट मैनेजमेंट में गलती है, क्योंकि की किसी भी कर्मचारी से यह उम्मीद तो की जाती है कि वह घंटो काम करें, लेकिन उसके घर में दिए जाने वाले समय का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है। इस वजह से कर्मचारी सोचते हैं कि वो अपने बच्चे को समय नहीं दे पाएंगे और इसलिए ही वो बच्चे पैदा करने से डरते हैं।