इशरत जहां मामले पर फर्जी विवाद पैदा कर रही सरकार

इशरत जहां नई दिल्ली| पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर इशरत जहां मामले में फर्जी विवाद पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित नई रिपोर्ट दो शपथपत्रों को लेकर हमारी स्थिति को पूरी तरह से सही ठहराती है। चिंदबरम ने एक बयान में कहा, “समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस में आज (गुरुवार) छपी खबर ने भंडाफोड़ किया है कि इशरत जहां मामले में पूर्ववर्ती केंद्र सरकार द्वारा दायर किए गए दो हलफनामों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार ने फर्जी विवाद पैदा किया।”

इशरत जहां में गुम दस्तावेज 

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा कि वह और शपथपत्र दायर करने की ‘पूरी जिम्मेदारी’ लेते हैं। इस मामले में जो करना चाहिए था, उसके हिसाब से वह पूरी तरह से सही था।

उन्होंने कहा, “कहानी का सार यही है कि एक फर्जी रिपोर्ट (जांच आयोग की) भी सच्चाई को नहीं छिपा सकती। असली मुद्दा यह है कि इशरत जहां व अन्य तीन लोग फर्जी मुठभेड़ में मारे गए या नहीं। केवल मुकदमे की सुनवाई से ही सच सामने आ पाएगा, जो जुलाई 2013 से ही अदालत में लंबित है।”

इशरत जहां मामले के गुम दस्तावेजों की जांच कर रहे गृह मंत्रालय के अधिकारी बी.के. प्रसाद ने हालांकि इस आरोप से इनकार किया है कि उन्होंने एक गवाह को प्रताड़ित किया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है।

प्रसाद ने एक बयान जारी कर कहा, “जिन अधिकारियों से मैंने पूछताछ की वे सरकार के वरिष्ठ अधिकारी हैं और जांच से जुड़े सवालों का अपने स्तर से जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं। इसलिए उत्पीड़न के आरोप का कोई सवाल ही नहीं उठता।”

प्रसाद का यह बयान अपनी अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय जांच कमेटी द्वारा इशरत जहां मामले से जुड़े लापता दस्तावेजों पर रिपोर्ट सौंपने के एक दिन बाद आया है।

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, इशरत जहां मामले में गुम दस्वाजों से संबंधित मामले की जांच कर रहे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी बी.के.प्रसाद ने एक दूसरे अधिकारी को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया, जो एक गवाह थे। उन्हें बताया जा रहा था कि उनसे क्या पूछा जाएगा और उन्हें उसका क्या जवाब देना है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन एक्सप्रेस के एक टेलीफोन कॉल को प्रसाद ने होल्ड पर डाल दिया और दूसरे फोन पर गायब दस्तावेजों के बारे में बात करते रहे। बाद में टेलीफोन पर हो रही बातचीत से पता चला कि वह अधिकारी संसद के हिंदी विभाग के संयुक्त सचिव अशोक कुमार थे जो वाणिज्य विभाग के अदालती मामलों की निगरानी के लिए नोडल आधिकारी थे।

प्रसाद ने उस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि बगैर उनकी इजाजत के टेलीफोन टेप करना अनैतिक है। उन्होंने बयान में कहा है कि ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया, जिससे मेरी कथित बातचीत के दौरान अशोक कुमार को प्रताड़ित होने की बात की पुष्टि हो।

कांग्रेस नेता ने कहा, “रिपोर्ट में वही बात साबित होती है, जो मैंने दोनों हलफनामों में कही थी।” चिदंबरम ने कहा कि पहला हलफनामा छह अगस्त, 2009 को दायर किया गया था, जिसमें खुफिया जानकारियों का खुलासा किया गया था और उसे केंद्र सरकार व राज्य सरकार के साथ साझा किया गया था।

वहीं, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को कहा कि इशरत जहां मामले से संबंधित दस्तावेजों को गुम करना एक ‘राष्ट्रविरोधी’ गतिविधि है और इसमें जो लोग शामिल हैं, उन्हें दंडित किया जाएगा। नकवी ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हर संभव प्रयास (गुम दस्तावेजों का सच सामने लाने के लिए) किए जा रहे हैं।

यह एक आपराधिक षड्यंत्र तथा राष्ट्र-विरोधी गतिविधि है। इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।” ज्ञात सूत्रों का कहना है कि अब सरकार इशरत जहां मामले से संबंधित दस्तावेज कैसे और कब गुम हुए, इसके लिए सीबीआई जांच का आदेश दे सकती है।

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