इशरत जहां मामले की फाइलें गुम करने वाले ‘राष्ट्रविरोधी’

इशरत जहां मामलेनई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को कहा कि इशरत जहां मामले से संबंधित दस्तावेजों को गुम करना एक ‘राष्ट्रविरोधी’ गतिविधि है और इसमें जो लोग शामिल हैं, उन पर कार्यवाई की जाएगी।

नकवी की यह प्रतिक्रिया समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी उस रिपोर्ट के मद्देनजर आई है, जिसके मुताबिक गुम दस्तावाजों से संबंधित मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी ने एक दूसरे अधिकारी को ‘पट्टी पढ़ाने’ का प्रयास किया।

नकवी ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हर संभव प्रयास (गुम दस्तावेजों का सच सामने लाने के लिए) किए जा रहे हैं। यह एक आपराधिक षड्यंत्र तथा राष्ट्र-विरोधी गतिविधि है। इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शा जाएगा।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चिदंबरम पर आरोप लगाया है कि उन्होंने इशरत जहां मामले में सितंबर 2009 में दूसरा हलफनामा दायर किया, जिसमें उन्होंने इशरत जहां के लश्कर-ए-तैयबा से कथित संबंधों की बात हटा दी और इसे कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ करार देते हुए इसकी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की।

भाजपा ने आरोप लगाया है कि चिदंबरम ने कांग्रेस के उस रुख के अनुसार पहले हलफनामे में संशोधन किया, जिसके अनुसार इशरत जहां निर्दोष थी और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार के आदेश पर 15 जून, 2004 को उसे तथा तीन अन्य लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया।

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मामले से संबंधित कुछ दस्तावेज गुम हुए हैं और इसकी जांच का जिम्मा अतिरिक्त सचिव (विदेश) बी.के.प्रसाद को सौंपा गया। प्रसाद ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट गृह सचिव को सौंप दी।

‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रसाद ने गृह मंत्रालय में साल 2011 में निदेशक रहे अशोक कुमार से कहा कि उनसे पूछे जाने वाले सवालों का उन्हें वही जवाब देना है, जो उन्हें सिखाया जाएगा।

समाचार पत्र ने अपनी वेबसाइट पर प्रसाद तथा अशोक कुमार के बीच कथित बातचीत की रिकॉर्डिग भी जारी की है। इस मामले में अब सरकार इशरत जहां मामले से संबंधित दस्तावेज कैसे और कब गुम हुए, इसके लिए सीबीआई जांच का आदेश दे सकती है।

इशरत जहां मामले पर चिंदबरम का बयान

इसी  मामले पर बोलते हुए पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिंदबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर इशरत जहां मामले में एक फर्जी विवाद पैदा करने का आरोप लगाया।

चिंदबरम ने एक बयान में कहा कि इशरत जहां मामले में गुम हुए दस्तावेजों की जांच कर रहे गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने जांच में एक अन्य अधिकारी को ‘पट्टी पढ़ाने’ का प्रयास किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, इशरत जहां मामले में गुम दस्वाजों से संबंधित मामले की जांच कर रहे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी बी.के.प्रसाद ने एक दूसरे अधिकारी को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया, जो एक गवाह थे। उन्हें बताया जा रहा था कि उनसे क्या पूछा जाएगा और उन्हें उसका क्या जवाब देना है।

चिदंबरम ने बयान में कहा, “समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस में आज (गुरुवार) छपी खबर ने भंडाफोड़ किया है कि इशरत जहां मामले में केंद्र सरकार द्वारा दायर किए गए दो हलफनामों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार ने फर्जी विवाद पैदा किया।” कांग्रेस नेता ने कहा, “रिपोर्ट में वही बात साबित होती है, जो मैंने दोनों हलफनामे में कही थी।”

उन्होंने कहा, “कहानी का सार यही कि एक फर्जी रिपोर्ट (जांच आयोग की) भी सच्चाई को नहीं छिपा सकती। असली मुद्दा यह है कि इशरत जहां व अन्य तीन लोग फर्जी मुठभेड़ में मारे गए या नहीं। केवल मुकदमे की सुनवाई से ही सच सामने आ पाएगा, जो जुलाई 2013 से ही अदालत में लंबित है।”

चिदंबरम ने कहा कि पहला हलफनामा छह अगस्त, 2009 को दायर किया गया था, जिसमें खुफिया जानकारियों का खुलासा किया गया था और उसे केंद्र सरकार व राज्य सरकार के साथ साझा किया गया था।

बी.के.प्रसाद द्वारा जांच किए जा रहे गुम दस्तावेजों के बारे में बातचीत करते हुए चिदंबरम ने कहा, “जो भी पांच दस्तावेज गुम हुए हैं, उनमें वही बात साबित होती है, जो मैंने इस मामले में कहा था। घटनाओं के क्रम से यह साबित होता है कि हमने मामले में पूरी पारदर्शिता से काम किया।”

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