इतिहास के खजानों से भरा पड़ा है दक्षिण भारत का यह जिला, लेकिन अभी तक किसी के नहीं लगा हाथ

यह बात तो आप सभी जानते ही होंगे कि भारत का दक्षिण काफी सुंदर माना जाता है। और यह सिर्फ सुंदर माना ही नहीं जाता है यह असल में भी सुंदर है। यह शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप में जानी जाती है। इस शहर का हमारे इतिहास से विशेष महत्व है। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि यहां पर कई शासकों का शासन रहा है। इस शहर में प्राचीन काल से ही कई तरह का संरचनाएं मौजूद हैं। आप यहां पर कभी भी शानदार सफर तय कर सकते हैं। यह एक खूबसूरत स्थान है। यहां पर हरे-भरे खेतों की कोई कमी नहीं है। आज हम आपको इस खूबसूरत शहर के बारे में बताने जा रहे हैं।

श्री अबिरामी अम्मन टेंपल

यह स्थान प्राचीन धरोहरों का गढ़ माना जाता है। यहां पर कई चकित कर देने वाली वस्तुएं उपलब्ध हैं। आप यहां पर कई मंदिरों के भी दर्शन कर सकते हैं। जिनमें श्री अबिरामी अम्मन टेंपल, श्रीनिवास पेरुमल मंदिर, कालाहस्थिश्वर मंदिर आदि शामिल है। यह मंदिर इस स्थान के धार्मिक और प्राचीन संचनाओं के बारे में बताता है। यहां की वास्तु कला को देखतर लगता है कि यहां रहने वाले राजा-महाराजाओं में कला और संस्कृति में काफी दिलचस्पी थी। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां जब चाहे आने का प्लान बना सकते हैं।

डिंडीगुल फोर्ट

डिंडीगुल भ्रमण की शुरुआत आप यहां डिंडीगुल फोर्ट से कर सकते हैं, यह एक प्राचीन किला है, जिसका निर्माण 17वीं में मदुरै नायक के शासनकाल के दौरान हुआ था। यह किला एक चट्टानी पहाड़ी पर बनाया गया था जहां से आप पूरे शहर को देख सकते हैं। यह प्राचीन फोर्ट यहां का सबसे मुख्य पर्यटन स्थल है, जिसका इतिहास और वास्तुकला पर्यटकों को काफी ज्यादा प्रभावित करने का काम करते हैं। यहां आकर आप डिंडीगुल के इतिहास को अच्छी तरह समझ सकते हैं। किले के अंदर की प्राचीन संरचनाएं मौजूद हैं, जिनमें मंदिर, मंडप आदि शामिल हैं। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।

बेगमपुर मस्जिद

डिंडीगुल में प्राचीन संरनचानों की श्रृंखला में आप यहां स्थित बेगमपुर मस्जिद को भी देख सकते हैं। यह मस्जिद किले के पास ही मौजूद है और इसका निर्माण हैदर अली ने 18वीं शताब्दी के दौरान करवाया था। हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सुल्तान थे। माना जाता है कि यह वो ऐतिहासिक स्थान है, जहां हैदर अली ने अपनी बहन अमीरुन्निसा बेगम को दफनाया था। इस मस्जिद को बेगमपुर मस्जिद के नाम से जाना जाता है। हर साल यहां हजारों की तादाद में मुस्लिम श्रद्धालुओं का आगमन होता है। इस मस्जिद का निर्माण मुगल शैली में किया गया है। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।

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