सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, क्या खत्म हो जाएगा आर्टिकल 370?
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में संविधान के आर्टिकल 370 को खत्म करने के लिए दायर की गयी याचिका को स्वीकार कर लिया है। इसके बाद कोर्ट ने इस मुद्दे पर नोटिस जारी किया है और सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा है। इस याचिका में आर्टिकल 370 के तहत कश्मीर को दिए जा रहे विशेष राज्य के दर्जे को ख़त्म करने के लिए कहा गया है।
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याचिका में अपील की गई है कि आर्टिकल 370 खत्म हो गया है । वहां लागू अलग संविधान को भी अघोषित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका उस वक्त दायर की गई है जब इससे संबंधित एक और आर्टिकल 35ए पर बहस छिड़ी हुई है।
इस आर्टिकल के तहत राज्य अपने स्थायी निवासियों के बारे में निर्णय ले सकता है। लंबे समय से भाजपा और आरएसएस आर्टिकल 370 को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
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आइए जानते हैं आखिर क्या है अनुच्छेद 370
- संविधान का अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रबंध के जरिए जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता है।
- 370 का खाका 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जिन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
- शेख अब्दुल्ला ने 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्थायी रूप में ना किया जाए। उन्होंने राज्य के लिए मजबूत स्वायत्ता की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था।
- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
- 370 के प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य का अनुमोदन चाहिए।
- यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है। एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती है। भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
- जम्मू-कश्मीर की लड़की यदि देश के दूसरे राज्य के लड़के से शादी करती है तो वह कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाएगी और उसकी संपत्ति से भी उसका अधिकार नहीं रहेगा।
- अनुच्छेद 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी है।
- 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।
- यहां दूसरे राज्य के नागरिक सरकारी नौकरी नहीं कर सकते।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।