हक्कानी ने खोल दी पाकिस्तान की पोल, घाटी हो जाएगी शांत लेकिन दहलता रहेगा भारत

आतंकवाद का मुद्दानई दिल्ली। आजादी के बाद से ही भारत के लिए सबसे बड़ा नासूर बन चुका कश्मीर मुद्दा और यहां फैला आतंकवाद का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है। पाकिस्तान पिछले पांच छह दशकों से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए घाटी में आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा जैसे घिनौने हथकंडे अपनाता रहा है। देश के एक पूर्व शीर्ष दूत ने भी इस मसले पर कहा है कि यदि यह कश्मीर नीति को सुलझा भी लिया जाए तब भी आतंकवाद और सांप्रदायिक संघर्ष की चुनौती पाक के लिए कभी खत्म नहीं होगी।    

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने शुक्रवार को कहा कि कश्मीर की समस्या सुलझ भी जाए लेकिन सांप्रदायिक आतंकवाद खत्म नहीं हो सकता। क्योंकि सांप्रदायिक आतंकवाद का मतलब उन लोगों की हत्या करना है जो आपके धार्मिक संप्रदाय के नहीं हैं। उन्होने आगे कहा कि तालिबानी ताकतों का अंत कश्मीर की समस्या के सुलझने से नहीं होगा क्योंकि इसका लक्ष्य अफगानिस्तान में पुरानी इस्लामी व्यवस्था को फिर से खड़ा करना है।

‘ए न्यू यूएस अप्रोच टू पाकिस्तान: एनफोर्सिंग एड कंडिशंस विदाउट टाइज’ नामक इस रिपोर्ट को ‘द हेरीटेज फाउंडेशन’ के लिस कर्टिस और ‘हडसन इंस्टीट्यूट’ के हक्कानी ने लिखा है। इसमें पाकिस्तान को आतंकवाद की मातृभूमि घोषित करने के अलावा बाकी कई पहलुओं पर चर्चा की गयी है। रिपोर्ट में ट्रंप प्रशासन से पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की अपील की गई है।

हक्कानी ने आगे कहा कि इस्लामाबाद अपने पड़ोसियों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का खुलकर समर्थन कर रहा है और इस बारे में पाक को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है। इस चर्चा में हक्कानी के साथ कर्टिस और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के विद्वान एवं दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ क्रिस्टीन फेयर ने भी अपना पक्ष रखा है।

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