आज का सुविचार: मूर्ख लोगों पर चाणक्य के विचार, ये है सच्ची मित्रता की पहचान

चाणक्य का जन्म आज से लगभग 2400 साल पहले हुआ था। आचार्य चाणक्य, जिन्हें हम कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी पहचानते हैं। चाणक्य नालंदा विश्वविधालय के महान आचार्य थे। आचार्य चाणक्य ने अपने शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य की सहायता से यूनानी आक्रमणकारियों को भारत से भगा दिया था। नंद वंश के अत्याचारों से पीड़ित प्रजा को भी मुक्ति दिलाई और अपने संकल्प को पूरा किया।

आचार्य चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ और विद्वान गुरु थे जिन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य भी किया। तक्षशिला वह विद्यालय था जहां देश-विदेश से विद्यार्थी आकर शिक्षा ग्रहण किया करते थे। माना जाता है इस विश्वविद्यालय के द्वारपाल भी संस्कृत में वार्तालाप किया करते थे। आचार्य चाणक्य के द्वारा बोले गए वचनों और दिखाए गए मार्गों पर चलकर आप अपने जीवन को सफल बना सकते हैं और लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं।

आचार्य चाणक्य के सुविचार:

  • मूर्ख लोगों की मूल प्रवृत्ति होती है, वह सदैव गलत आचरण करते हैं और स्वयं को सही साबित करने का भी प्रयत्न करते हैं।
  • जो लोग मूर्ख होते हैं वह मूर्खों की भाषा को ही समझते हैं। उसके सामने शिष्टाचार और शिक्षित भाषा का प्रयोग करना तर्कसंगत नहीं है। क्योंकि आपकी मीठी वाणी उन लोगों के लिए कटु वचन के समान है।
  • जिस प्रकार लोहे से लोहे को काटा जाता है , किसी और वस्तु से इसे काटना संभव नहीं होता। ठीक इसी प्रकार मूर्ख लोगों को मूर्खता से ही शांत किया जा सकता है।
  • सच्चा मित्र व्यक्ति के सुख दुख में शामिल होता है। वह अपने मित्र को कभी भी दुख में अकेला नहीं छोड़ता। जिससे उसको दुख सहने की क्षमता मिलती है।
  • दुख और संकट के समय हर एक व्यक्ति आप से पीछा छुड़ाना चाहता है, किंतु जो सच्चा व्यक्ति होता है वह आपको दुख के क्षण में कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।
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