आईएलएंडएफएस करेंगा अब नौ बड़े बैंकों के खिलाफ अवमानना केस , 800 करोड़ रुपये का मामला…

सरकार द्वारा नियुक्त किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर लिजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज का बोर्ड देश के नौ बड़े बैंकों के खिलाफ अवमानना केस दर्ज कर सकता है। इन बैंकों ने बिना कंपनी बोर्ड की अनुमति के 800 करोड़ रुपये खाते से निकाल लिए थे। कंपनी पर 91 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है।

घोटाला

वहीं आईएलएंडएफएस जिन नौ बैंकों के खिलाफ केस दर्ज कर सकता है उनमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, यस बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं। कंपनी इन बैंकों से रिफंड भी मांग सकती है।

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बता दें की आईएलएंडएफएस ने कहा है कि बैंकों ने उसके एस्क्रो खाते से पैसा निकाला। 91 हजार करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट में बैंकों के 51 हजार करोड़ रुपये फंसे हैं। बैंकों ने पिछले छह माह में यह पैसा निकाला है।
ऐसा करने से बैंकों ने उस आदेश की अवमानना की है, जो नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय प्राधिकरण (एनसीएएलटी) ने दिया था। एनसीएएलटी ने कंपनी से किसी भी प्रकार की रिकवरी करने से मना कर दिया था।
बता दें की कंपनी ने कहा है कि बैंकों द्वारा उसके खाते से पैसा निकालने के कारण उसके कैश फ्लो पर असर पड़ा है। इसके अलावा कंपनी समय पर किसी को भी भुगतान नहीं कर पाएगी। केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में कंपनी के पुराने बोर्ड को भंग करके नए बोर्ड का गठन किया था।
दरअसल घोटाले की जांच कर रहा सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने इसमें ऑडिटरों को भी दोषी माना है। एसएफआईओ का कहना है कि ऑडिटर धोखाधड़ी में न सिर्फ टॉप मैनेजमेंट के साथ मिले हुए थे, बल्कि उन्होंने अपने कुछ उत्पाद और सेवाओं को भी बेचने की कोशिश की थी।
वहीं एसएफआईओ ने करीब 400 कंपनियों पर गौर करने और कंप्यूटर-लैपटॉप समेत विभिन्न स्रोतों से जानकारियां जुटाने के बाद 30 मई को पहली चार्जशीट दाखिल कर चुका है। इसमें अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि समूह के ऑडिट का काम कर चुकी फर्म्स डेलॉय, हैसकिन्स एंड सेल्स को कर्जदाताओं के साथ की जा रही धोखाधड़ी की जानकारी थी।

कंपनी के पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने शौक पूरे करने के लिए फर्जीवाड़े को बढ़ावा दिया। इन अधिकारियों ने विदेश यात्रा, निजी जेट में सफर, हेलीकॉप्टर में घूमने और विदेशी सामानों से घर को सजाने के बदले नियम विरुद्ध कर्ज बांटे। कई ई-मेल की जांच में खुलासा हुआ है कि शीर्ष अधिकारियों की निजी कंपनियों को कर्ज दिलाने में बड़ी भूमिका रही है, जिन्होंने बाद में कर्ज का भुगतान नहीं किया।

लेकिन अधिकारियों ने कहा कि आईएलएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लि. (आईएफआईएन) का मामला तो समूह के पूरे महाघोटाले के आगे ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ जैसा है। समूह में कुल 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज की चूक हुई।  एसएफआईओ के पहले आरोपपत्र में सिर्फ एक इकाई आईएफआईएन का जिक्र है। समूह की मूल कंपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लि.(आईएलएंडएफएस) और अन्य अनुषंगियों की जांच चल रही है।

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