
जो बच्चे बड़ों के दल में शामिल होते हैं उनमें अवसाद और आत्महत्या के विचार आने का खतरा काफी बढ़ जाता है। एक नए शोध से यह जानकारी सामने आई है।
इस शोध में कहा गया है कि अगर वे बच्चे जो बड़ों के दल से बाहर नहीं निकलते तो उनमें मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं। दल में शामिल होने से उनमें आत्महत्या का विचार पनपने की संभावना 67 फीसदी और आत्महत्या की कोशिश करने की संभावना 104 फीसदी बढ़ जाती है।
मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय के क्रिस मेल्डे का कहना है, “जो बड़ों के दल में शामिल होते हैं, उनमें पहले से ही मानसिक समस्याएं होती हैं और दल में आने के बाद स्थितियां बेहद खराब हो जाती हैं। बच्चे बड़ों के दल में कई कारणों से शामिल होते हैं चाहे वह सुरक्षा की भावना हो या कुछ और। हमारे शोध से पता चलता है कि इससे उनके जीवन में समस्याएं और बढ़ जाती है।”
यह शोध क्रिमिनल जस्टिस एंड बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
कई सारे नौजवान जिनमें से ज्यादातर गरीब परिवारों के होते हैं। वे पैसा, संरक्षण, रूतबा, या फिर वह अपनापन पाने के लिए जो उन्हें घर, स्कूल या अन्य जगहों पर नहीं मिलता, बड़ों के दल में शामिल हो जाते हैं। हालांकि उनको कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलता है। बल्कि उनके साथ गालीगलौज, हिंसा, शोषण जैसी चीजें बढ़ जाती हैं।