अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर से भारत को बड़ा फायदा, दोनों देशों को बढ़ेंगे निर्यात…

नई दिल्ली : विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध से भारत के लिए दोनों देशों में निर्यात अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी। जहां  भारत दोनों देशों में परिधान, कृषि, वाहन और मशीनरी के क्षेत्र में निर्यात अवसर हासिल कर सकता है।

अमेरिका

बता दें की भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) में प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा कि अमेरिका मुख्य रूप से चीन से खासतौर से मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में मध्यवर्ती उपकरणों पर निशाना साध रहा है, जबकि दूसरी तरफ चीन ने अमेरिका से ऑटोमोटिव और सोयाबीन सहित कृषि उत्पादों को निशाने पर लिया है।

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वहीं गौरतलब है कि अमेरिका द्वारा पिछले चीन के 50 अरब डॉलर के हाईटेक वस्तुओं पर 25 फीसदी और 200 अरब डॉलर मूल्य की अन्य वस्तुओं पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा से दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर और बढ़ गया है। लेकिन हाल ही में चीनी मोबाइल कंपनी हुआवे को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है।

जहां चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में भी हाल में कहा गया था कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती दूरी से भारत और चीन के बीच आर्थ‍िक रिश्ते और बेहतर हो सकते हैं। लेकिन भारत उन कुछ देशों में है जो चीनी बाजार में अमेरिकी उत्पादों के आयात में कमी आने का फायदा उठा सकते हैं।

बता दें की भारत-चीन के अधिकारियों की हाल में एक बैठक हुई है, जिसमें दोनों देशों के बीच कृषि जिंस और अन्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने पर विचार हुआ है. ग्लोबल टाइम्स के लेख में कहा गया था।

लेकिन भारत से चीन में कृषि और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद की निर्यात की पूरी संभावना का दोहन नहीं हो पाया है। चीन और अमेरिका में ट्रेड वॉर बढ़ा तो ऐसी कई वस्तुओं से अमेरिकी आयात पर चीन जवाबी टैरिफ लगा सकता है। जहां चीन अमेरिका द्वारा एकतरफा टैरिफ लगाने की किसी भी संभावित नुकसान से अपने को बचाने के लिए पूरी तरह तैयार है. यदि ट्रेड वॉर की वजह से कृषि उत्पादों की आपूर्ति में कमी आती है तो यह मेक इन इंडिया उत्पादों के लिए अवसर होगा।

खबरों के मुताबिक प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा कि इन क्षेत्रों में भारत के लिए व्यापक संभावनाएं हैं. भारत के लिए परिधानों और सिले-सिलाये कपड़ों के क्षेत्र में मजबूत अवसर पैदा हो रहे हैं, क्योंकि चीन के बाद दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जहां वैश्विक ग्राहकों को इतने बड़े पैमाने पर आपूर्ति की श्रंखला उपलब्ध हो सकती है. उन्होंने कहा कि भारत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

लेकिन भारत को विशेष तौर पर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के क्षेत्र में अपना निर्यात बढ़ाना चाहिए. भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये हैं।

वहीं फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि 2018 में अमेरिका को होने वाले भारत के निर्यात में 11.2 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि चीन को हुये निर्यात में इस दौरान 31.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई हैं।

उन्होंने कहा कि आज चीन पहले से कहीं अधिक भारतीय उत्पादों के लिये अपनी बाजार पहुंच बढ़ा रहा है ,  भारत से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए बाजार पहुंच बेहतर हुई है ,  चीन अपने नागरिकों को यह साबित करना चाहेगा कि अमेरिका के साथ उसके व्यापार युद्ध का देश पर कोई असर नहीं हुआ है।

दरअसल फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने भी कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव भारत के लिए ‘भगवान से भेजे गये अवसर’ के समान है। भारत के लिए चीन में काम कर रही कंपनियों से निवेश पाने का बेहतर अवसर साबित हो सकता है।

जहां अमेरिकी बाजार को ध्यान में रखते हुये जिन कंपनियों ने वहां निवेश किया है वह वहां से अन्यत्र जाना चाहेंगी और भारत इसके लिये बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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