अमेरिका और चीन के बीच तेज हुई बयानबाजी जंग, ट्रंप की आँखों में चढ़ा चीन

मेरिका और चीन में लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है। आलम ये है कि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप लगातार चीन पर पाबंदियां लगाते जा रहे हैं। उन्‍होंने अपने ताजा फैसले में अब चीन से आने वाले यात्री विमानों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। 16 जून से दोनों देशों के बीच विमान सेवाएं बंद हो जाएंगी। इससे चीन की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही हैं। ये सब कुछ ऐसे समय में हो रहा है जब कोरोना की महामारी का दंश झेल रहे देशों की अर्थव्‍यवस्‍था को दोबारा पटरी पर लाने की कवायद जोर-शोर से चल रही है। अमेरिका और चीन के बीच की ये तनातनी यूं तो काफी लंबे समय से है लेकिन डोनाल्‍ड ट्रंप के राष्‍ट्रपति बनने के बाद से इसमें विवादों की खाई और अधिक चौड़ी हो गई है।

दक्षिण चीन सागर, दोनों देशों के बीच छिड़े ट्रेड वार, कोरोना उत्‍पत्ति को लेकर उठे सवाल और तीखी होती बयानबाजी के बीच अब हांगकांग का मुद्दा भी इसमें अपनी भूमिका निभाने लगा है। ये सभी मुद्दे ऐसे हैं जो लगातार विवादों का कारण बने हुए हैं। वहीं कोरोना उत्‍पत्ति और हांगकांग के सवाल और मुद्दे को अमेरिका लगातार हवा दे रहा है। इसको हवा देने में न सिर्फ राष्‍ट्रपति ट्रंप बल्कि विपक्षी पार्टियां भी लगी हुई हैं। जानकारों की राय में दोनों के बीच चल रही ये लड़ाई वर्चस्‍व की जंग को लेकर अधिक है। वहीं व्‍यापारिक मुद्दों पर अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए भी ये लड़ाई और तीखी हो चली है। इस मुद्दे पर दैनिक जागरण ने अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत रहीं मीरा शंकर और जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर बीआर दीपक से बात की।

इस बातचीत के दौरान दोनों ही इस बात पर सहमत थे कि अमेरिका का चीन से सबसे बड़ा टकराव व्‍यापारिक हितों को लेकर है। मीरा और दीपक का मानना है कि इन दोनों ही देशों के बीच रिश्‍ते अब वैसे नहीं हैं जो एक दशक पहले हुआ करते थे। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि अमेरिका को अब ये लगने लगा है कि चीन से व्‍यापार में उसको जो फायदा होना चाहिए था, वो उसको नहीं मिल रहा है। प्रोफेसर दीपक के मुताबिक चीन लगातार अमेरिका से होने वाले व्‍यापार में फायदा उठा रहा है। उसको समझौते के तहत कई तरह की छूट मिली हुई हैं। अमेरिका चाहता है कि उसको भी वही छूट मिलनी चाहिए जो वो चीन को देता है। इस पर चीन तैयार नहीं है। उनकी निगाह में ये ट्रेड वार काफी लंबे समय से चल रहा है और आगे भी इसके लंबा चलने की उम्‍मीद है।

वहीं इस मुद्दे पर मीरा का रुख भी यही कहता है। उनके मुताबिक अमेरिकी राजनीतिक गलियारे में ये बात अब आम हो गई है कि चीन को जो अहमियत देनी चाहिए थी वो अमेरिका ने दी है, लेकिन बदले में उसको कुछ नहीं मिला है। ऐसे में वहां पर सत्‍ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस बात को मानने लगे हैं कि चीन की इस अहमियत को कम करने की जरूरत है। यही वजह है कि अमेरिका लगातार चीन पर विभिन्‍न मुद्दों को लेकर दबाव बना रहा है। इसमें सत्‍ता पक्ष के साथ विपक्ष भी लगा हुआ है। चीन के वर्चस्‍व को कम करने के लिए दोनों का गठजोड़ काफी काम आता दिखाई दे रहा है।

मीरा की मानें तो कोरोना के मुद्दे अमेरिका चीन को लेकर काफी आक्रामक है। वहीं हांगकांग के मुद्दे पर भी लगातार वह बयानबाजी कर रहा है। चीन को लेकर पहले भी अमेरिका में कई प्रतिबंध लगाए हैं। इतना ही नहीं चीन के विद्यार्थियों और वहां पर काम कर रहे लोगों पर भी प्रतिबंध लगाने की बात सामने आ चुकी है। अमेरिका की ये दबाव की रणनीति काफी सफल होती दिखाई दे रही है। आपको बता दें कि अमेरिका में चीन के विद्यार्थियों और वहां पर काम करने वालों की संख्‍या सबसे अधिक है। इसके बाद अमेरिका में भारतीयों का नंबर आता है। प्रतिबंध लगने के बाद चीन पर इसका काफी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

प्रोफसर दीपक के अनुसार चीन की सत्‍ता में आने के बाद शी चिनफिंग के तेवर लगातार आक्रामक हुए हैं। चाहे वो अमेरिका का मुद्दा हो या दक्षिण चीन सागर का या फिर ताईवान और भारत से सीमा विवाद का मुद्दा रहा हो। चीन ने इन मुद्दों से निपटने में आक्रामकता दिखाई है। ये बताता है कि चीन अपने वर्चस्‍व को बढ़ाकर लगातार अमेरिका को चुनौती दे रहा है। अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर सैन्‍य ठिकानों का बनाया जाना इसका एक जीता जागता परिणाम है। दुनिया के बेहद कम देश हैं जो इस तरह से अपने सैन्‍य ठिकाने बना रहे हैं। अमेरिका लगातार चीन की तरफ से मिल रही इन चुनौतियों से निपट रहा है। कई बार वैश्विक मंच पर भी अमेरिका को घेरने की कोशिश चीन की तरफ से हुई है। मीरा और दीपक दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि आने वाले समय में इन दोनों के बीच की ये लड़ाई और तेज होगी। इसका असर कहीं न कहीं अमेरिका में इस वर्ष होने वाले राष्‍ट्रपति चुनावों पर भी दिखाई देगा।

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