
REPORT- LOKESH TRIPATHI/AMETHI
कहते हैं कि मंजिले उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है कुछ इसी तरह का अनोखा कार्य अमेठी जनपद के उप संभागीय परिवहन अधिकारी एआरटीओ अमेठी एलबी सिंह ने कर दिखाया है।
आपको बता दें कि अमेठी जनपद के एआरटीओ प्रशासन एलबी सिंह बहुत ही महत्वपूर्ण पद पर विराजमान है इसके बावजूद वह बहुत ही सहज सरल एवं सहृदय व्यक्ति है वह अपने सरकारी कामों को अच्छे से अच्छा करने का प्रयास करते हैं और सरकार की और से जो भी टारगेट दिया जाता है.
उसको वह लक्ष्य बनाकर अंत तक प्राप्त कर लेते हैं उन्होंने पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 पूरे उत्तर प्रदेश 75 जिलों के राजस्व वसूली में अमेठी जनपद को प्रथम स्थान दिलाया जो स्वयं उनके लिए तथा उनके विभाग सहित पूरी अमेठी जनपद के लिए गौरव का विषय है यही नहीं इसके बावजूद माह अप्रैल में उन्होंने 108 प्रतिशत राजस्व वसूली किया माह मई में उनके द्वारा 102% राजस्व वसूली किया गया तथा माह जून में 100.45 प्रतिशत राजस्व वसूली कर दिखाया इसके लिए आवश्यकता पड़ती है.
तो अधिकारी महोदय रविवार को भी अपना ऑफिस खोल कर बैठ जाते हैं जिसकी पूर्व सूचना समाचार पत्रों के माध्यम से अमेठी की जनता को प्रदान करते हैं और सरकारी राजस्व वसूली का लक्ष्य प्राप्त करते हुए उससे भी आगे निकल जाते हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है और पूरा चुनाव अपने विभाग की तरफ से अकेले ही संपन्न कराया उस समय एआरटीओ प्रवर्तन मेटरनिटी लीव पर थी इसलिए एआरटीओ प्रशासन के पास ही एआरटीओ प्रवर्तन का भी चार्ज था और लोकसभा चुनाव में के कार्य का संपादन करने के साथ विभागीय कार्य विधि अच्छे ढंग से चलाना बहुत ही मुश्किल का कार्य था.
लेकिन इस समय कि वह विचलित नहीं हुए और सभी कार्यों को बखूबी निर्वहन करते हुए जनपद को अव्वल दर्जे तक पहुंचाए हैं।इसके साथ ही वह क्षेत्र की जनता को सही रास्ता दिखाने का एक अनोखा कार्य करते हैं एआरटीओ साहब अध्यात्म से जुड़े हुए व्यक्ति हैं कथा रामचरित मानस मर्मज्ञ है राजकीय कार्य करने के उपरांत जब भी उन्हें फुर्सत मिलती है तो वह राम कथा के माध्यम से क्षेत्र में लोगों के बीच पहुंचकर उनके मिले मन को साफ करने का कार्य करते हुए सन्मार्ग पर ले जाते हैं उसमें भी सबसे बड़ी बात यह है कि उनके उन्हें इस बात का जरा सा भी भान नहीं है कि वह एक अधिकारी हैं वह अपने राजकीय कर्तव्य का बखूबी निर्वहन करते हुए इसी अमेठी क्षेत्र में राम कथा का वाचन करते हैं।
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इस पर जब हमारे लाइव टुडे संवाददाता लोकेश त्रिपाठी ने विशेष रिपोर्ट तैयार करते हुए एआरटीओ प्रशासन अमेठी एलबी सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही अध्यात्म में रूचि रही है जिसके चलते वह बचपन में ही अपने ही नहीं अगल बगल के गांव में धार्मिक कार्यों में सहभागिता करने के लिए जाया करते थे उन्होंने बताया कि सर्विस में आने के बाद हमारे पास समय की कमी हुई लेकिन फिर भी रात में 11-12 बजे तक मैं प्रतिदिन घंटे आधे घंटे अवश्य रामचरितमानस का अध्ययन करता हूं यही नहीं जब हमको समय मिल जाता है तो मैं इसको सुनाता भी हूं इससे मैं समाज सुधार को लेकर अधिक प्रसंग चर्चा करता हूं.
रामचरितमानस हमें जीवन जीने की कला सिखाती है माता पिता तथा गुरुजनों से कैसा व्यवहार करना चाहिए मित्रों के साथ क्या बर्ताव होना चाहिए इससे जुड़े बहुत सारे प्रसंग हैं जिस के अध्ययन के बाद मैं इन्हें प्रसंगों को सुनाता हूं जिससे कि हमारा समाज जो बिगड़ता जा रहा है वह कैसे सुधार की ओर अग्रसर हो इसलिए मैं बराबर कहीं भी कोई भी आयोजन रहता है तो मैं उसमें भाग्य अवश्य लेता हूं अभी मैं बहुत अधिक समय नहीं दे पा रहा हूं लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद मैं अपना पूरा समय इसी क्षेत्र में समाज के लिए दूंगा मुझे पद का अभिमान और गरिमा कतई नहीं रहती है मैं सिर्फ कार्यालय में एआरटीओ हूं उसके बाद मैं मनुष्य हूं और मनुष्य के अंदर मनुष्यता होनी चाहिए.
मैं अपने कार्यालय में भी कहीं कुछ गलत देखता हूं तो उसको समझाने का प्रयास करता हूं विशेष रूप से राम कथा को अपना आधार चुनने के विषय में बताते हुए एआरटीओ साहब ने बताया कि इसको मैंने इसलिए चुना है कि रामचरितमानस में कोई भी जीवन का ऐसा पहलू नहीं है कि जिस पर चर्चा गोस्वामी जी ने ना किया हो इसमें कोई भी पहलू अछूता नहीं रहा है इसलिए यह सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ और आदर्श जीवन के लिए सर्वश्रेष्ठ इसको मानता हूं आजकल जो यह आत्म हत्याएं हो रही हैं.
उनको यदि आध्यात्मिक ज्ञान होगा तो वह इस तरह का कृत्य नहीं करेंगे वह अपने जीवन में कितना भी संघर्ष करेगा लेकिन आत्महत्या नहीं करेगा इसीलिए मैं इसको समाज और सभी लोगों के बीच बांटना चाहता हूं जिससे कुछ लोग यदि इसका आत्मसात करेंगे तो हमारे समाज में सुधार अवश्य आएगा मैं सेवानिवृत्ति के बाद निशुल्क रूप से समाज सेवा के रूप में राम कथा कहूंगा इसका कोई शुल्क व दक्षिणा नहीं लूंगा मैं यही मन बना चुका हूं कि सेवानिवृत्ति के बाद मुझे राम कथा ही कहना है।