अद्भुत वास्तुकला के बीच खड़ा ओडिशा का यह मंदिर, दंग रह जाते हैं यहां आने वाले पर्यटक

ओडिशा के भुवनेश्वर में बना राजारानी मंदिर कितनी शताब्दियों से जाना जाता है। यह मंदिर भुवनेश्वर की शान माना जाता है। इतना ही नहीं लोगों की अलग-अलग आस्था होने के नाते इस मंदिर का नाम भी अलग-अलग है कोई इस, मंदिर को प्यार के मंदिर के नाम से जानता है तो कोई राजारानी के नाम से । लेकिन प्राचीन काल में इस मंदिर को इंद्रेश्वर मंदिर’ के नाम से जाना जाता था जो अपने अंदर कई इतिहास से जुड़े पन्ने समेटे हुए था।

वास्तुकला और धार्मिक महत्व

इस मंदिर के निर्माण में विभिन्न तरह की वास्तु कला का इस्तेमाल किया जाता है। इस मंदिर की वास्तु कला देखते ही बनती है। इस मंदिर को दो भागों में बांटा गया है। एक को गर्भगृह के नाम से जाना जाता है तो दूसरे को तीर्थयात्री देवालय के रुप में । इतना ही नहीं इस मंदिर में अलग से त्योहरा हॉल भी है। जहां पर तरह –तरह के आयोजनों को आयोजित किया जाता है। इस मंदिर के निर्माण में लाल और पीले रंग पत्थरों का इस्तोमाल किया गया है। मंदिर के गर्भगह में किसी भी देवी-देवता का मंदिर नहीं है। भुवनेश्वर में जितने भी मंदिर हैं अनके नाम के आगे इश्वर नाम भी जुड़ा हुआ है। इस मंदिर में किसी देवता या देवी की तो मूर्ति नहीं है लेकिन इस मंदिर की दीवारों पर शिव-पार्वती का चित्र अंकित है। जिस वजह से इस मंदिर को भगवान शिव से जोड़ा गया है।

राजारानी संगीत समारोह

यहां हर साल 18 से 20 जनवरी के बीच राजारानी संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है। यह समारोह शास्त्रीय संगीत पर केंद्रीत रहता है जिसमें शास्त्रीय संगीत की सभी तीन शैलियों – उत्तर भारतीय, कर्नाटक और ओडिसी को महत्व दिया जाता है। इस आयोजन के समय यहां पर देश के तमाम कलाकारों का आगमन होता है। इस कार्यक्रम की शुरुआत 2003 से की गई है।

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