केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मुनीर अहमद को एक पाकिस्तानी महिला से शादी की जानकारी छिपाने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। हालांकि, अहमद ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने शादी से पहले सीआरपीएफ मुख्यालय से औपचारिक अनुमति ली थी। अब वह इस बर्खास्तगी को अदालत में चुनौती देने की योजना बना रहे हैं।

जम्मू के घरोटा निवासी अहमद, जो अप्रैल 2017 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे, ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “मुझे अपनी बर्खास्तगी की खबर मीडिया के जरिए पता चली। बाद में सीआरपीएफ से आधिकारिक पत्र मिला। यह मेरे और मेरे परिवार के लिए सदमे की बात है, क्योंकि मैंने पाकिस्तानी महिला से शादी के लिए मुख्यालय से अनुमति मांगी थी और मुझे वह मिल गई थी।” उन्होंने ऑनलाइन रिश्ते के बाद मई 2024 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मीनल खान से वीडियो कॉल के जरिए निकाह किया था। अहमद के अनुसार, यह शादी सीआरपीएफ से अनुमति मिलने के लगभग एक महीने बाद हुई।
सीआरपीएफ का दावा है कि अहमद ने अपनी शादी की जानकारी छिपाई और मीनल को वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रहने में मदद की, जो सेवा नियमों का उल्लंघन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की पाकिस्तान के प्रति सख्त कूटनीतिक रुख के बीच हुई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
मीनल खान 28 फरवरी को वाघा-अटारी सीमा के रास्ते अल्पकालिक वीजा पर भारत आई थीं, जिसकी वैधता 22 मार्च को खत्म हो गई थी। हालांकि, उनके और अहमद के दीर्घकालिक वीजा के लिए आवेदन और औपचारिकताओं के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने मीनल के निर्वासन पर रोक लगा दी थी।
अहमद ने बताया कि उन्होंने 31 दिसंबर, 2022 को सीआरपीएफ को शादी के इरादे की जानकारी दी थी और अपने, माता-पिता, स्थानीय सरपंच व जिला विकास परिषद सदस्य के हलफनामे सहित सभी दस्तावेज जमा किए थे। उन्होंने दावा किया कि 30 अप्रैल, 2024 को उन्हें मुख्यालय से अनुमति मिली थी। शादी के बाद, अहमद ने अपनी 72वीं बटालियन को निकाह के दस्तावेज, तस्वीरें और विवाह प्रमाणपत्र सौंपे। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया कि अनापत्ति प्रमाणपत्र का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन मैंने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया और अधिकारियों को सूचित किया था।”